ऋषि गंगा और तपोवन-विष्णुगाड़ जलविद्युत परियोजनाओं पर रोक की याचिकाएं खारिज
नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने चमोली जनपद में ऋषि गंगा और तपोवन-विष्णुगाड़ जलविद्युत परियोजनाओं के लिए वन और पर्यावरण मंजूरी रद्द करने और चमोली जिले में चिपको आंदोलन की नेतृत्वकर्ता गौरा देवी के रैणी गांव के पुनर्वास की मांग करने वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। साथ ही पांच याचिकाकर्ता पर दस-दस यानी कुल 50 हजार रुपये जुर्माना लगाते हुए यह धनराशि अधिवक्ता कल्याण कोष में जमा करने का आदेश पारित किया है।
रैणी गांव के संग्राम सिंह, सोहन सिंह, भवन राणा तथा जोशीमठ के अतुल सती व कमल रतूणी की जनहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई के दौरान एनटीपीसी के अधिवक्ता डॉ. कार्तिकेय हरि गुप्ता ने अदालत से कहा कि अत्यधिक महत्व की ऐसी परियोजनाओं को केवल शिकायतों पर नहीं रोका जा सकता है। याचिकाकर्ता सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में अपनी ईमानदारी दिखाने में विफल रहे है। जिसके बाद न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं पर 10-10 हजार रुपये का अर्थदंड लगाते हुए याचिका को खारिज कर दिया है। डॉ गुप्ता ने कहा कि तपोवन विष्णुगाड़ जलविद्युत परियोजना उत्तराखंड राज्य और एनटीपीसी के लिए अत्यधिक महत्व की है। प्रोजेक्ट हमेशा पर्यावरणीय मंजूरी के साथ काम करता है। पहाड़ियों के सतत विकास के लिए प्रतिबद्ध है।