श्रावण मास के पहले दिन शिवालयों में उमड़ी श्रद्धालु की भीड़
अगस्त्यमुनि। श्रावण मास के पहले दिन क्षेत्र के शिवालयों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। हर हर महादेव के उद्घोषों से शिवालय गुंजायमान रहे। श्रावण संक्रांति की धूम सभी मन्दिरों में दिखाई दी। श्रावन मास का प्रारम्भ भी हो गया है। श्रावण संक्रांति को कर्क संक्रांति भी कहा जाता है। क्योंकि सूर्य भगवान दक्षिणायन को प्रस्थान करते हैं। इसी के साथ देवताओं की रात्रि भी प्रारम्भ हो जाती है तथा चतुर्मास या चौमासा का भी आरम्भ हो जाता है।
अगस्त्यमुनि स्थित मुनि महाराज के मन्दिर में प्रात: से ही भक्तों की भीड़ नजर आने लगी थी। दोपहर होते होते दूर दराज से ग्रामीण विशेषकर महिलाओं से मन्दिर में भारी भीड़ हो गई। भक्तों ने बेलपत्र, पुष्प एवं जल से भगवान शिव का अभिषेक किया। मंदिर में होने वाली भीड़ के मद्देनजर मठाधिपति पंडित अनसूया प्रसाद बेंजवाल ने विशेष व्यवस्था की थी। सभी भक्तों को सोशल डिस्टेंसिंग के लिए कहा जा रहा था। इसके लिए पुलिस प्रशासन से भी अनुरोध किया गया था। परन्तु कोई भी पुलिस जवान मन्दिर परिसर में मौजूद नहीं था। पंडित बेंजवाल ने बताया कि वैसे तो पहाड़ में हर संक्रांति का अपना महत्व है, मगर श्रावण संक्रांति का पहाड़ में विशेष महत्व है। इसे पहाड़ में म्वौल संक्रांति भी कहते हैं। यह प्र.ति से जुड़ने तथा उसे सम्पन्न बनाने का भी त्यौहार है। इसे हरेला पर्व भी कहते हैं। इस संक्रांति में वर्त, दान कर्म एवं स्नान कर भगवान शिव को बेलपत्र एवं पुष्प अर्पण करने मात्र से मनुष्य जीवन के सम्पर्ण पाप नष्ट हो जाते हैं।