आक्रमण-कोरोना हराने के लिए जीत का गोल करें
कोरोना महामारी का संकट अभी टला नही हैं। और न ही इतनी जल्दी टलने वाला हैं। बात साफ है। कोरोना गया नही है। यही है। बस हमारी सावधानी,सतर्कता, जागरूकता के सामने निष्क्रिय हैं। कभी भी हमारी थोड़ी भी सावधानी हटी, दुर्घटना घटी वाली बात हो जाएगी। तीसरी लहर आ सकती हैं। लेकिन हमें इसका इंतजार नही आक्रमण करना होगा। बचाव के हथियारों का जखीरा बढ़ाना होगा। वाह्य के साथ -साथ आंतरिक शक्ति (इम्युनिटी) बढ़ाती रहनी होगी। तीसरी लहर में फैलने वाले इस जहरीले विष के अणु को थामना होगा, रोकना होगा। वैज्ञानिकों की चेतावनी को नज़र अन्दाज़ नही किया जा सकता हैं।अपने संयमित व नियमित दिनचर्या को बनाये रखना पड़ेगा। ये माना कि काम के लिए हमें घर से बाहर जाना होता हैं तो भी भीड़-भाड़ व गैदरिंग से अपने को बचाये रखना पड़ेगा। मास्क जो मुह के साथ-साथ नाक को अच्छी तरह से ढक कर रखें पहनना होगा। कम से कम तीन लेयर का मास्क जरूरी नही वो किसी कंपनी या ब्रांड का ही हो, खुद भी बना सकते है को प्रयोग करते रहना होगा। घर पर ही किसी साफ-सुथरे कपङे का टुकड़ा(चाव) से भी मुह-नाक ढक सकते हैं। किसी भी भ्रम की स्थित में ना पड़े। पूरी कोशिश हो आपके हाथ कम से कम काम करते समय मुह, नाक तक ना पहुँचे। थोड़ी भूख,थोड़ी प्यास अगर सहन करनी भी पड़े तो कोई हर्ज़ नही। गौर फरमाइए कोरोना विषाणु साबुन से हाथ धोने के साथ ही चला जाता है। देखिये ना कितनी छोटी बात लग रही है। लेकिन पूरी वजनदार है, प्रभावकारी हैं। यही बात हमें समझनी होगी, समझानी होगी कि हमारे छोटे- छोटे प्रयासों, आदतों से हम इस महामारी को मात दे सकते है। इसीलिए दो ग़ज़ की दूरी,मास्क जरूरी,सैनिटाइजर का प्रयोग, ना बने मज़बूरी,रोज थोड़ा योग-ध्यान,सब करें इसका सम्मान ही हमें कोरोना के खिलाफ आक्रामक बनाये रखेगा। टीके जरूर लगाएं और औरों को भी इसके लिए कहें। भारतीय वैज्ञानिको द्वारा बने टीके प्रभावकारी व गुणवत्तापूर्ण है, सिवाय किसी भ्रमजाल के आगोश में रहकर विदेशी चमक में खोने के। ध्यान देने की बात है भले ही फाइजर हो या स्पूतनिक जो कि ठंडे जलवायु वाले देशों में बने हैं ।वहाँ पर एक सामान्य तापक्रम जो टीके को सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक होता है को कृतम रूप से बनाये रखना पड़ता है। जबकि भारत एक गर्म जलवायु वाला देश है। इसीलिए बाहरी टीकों से हमारे टीके हमारे लिए ,गर्म जलवायु वालों के लिए ज्यादा मुफीद है। हमें किसी हॉकी के मैच की तरह अपनी-अपनी जगह से एक होकर टीम भावना से इस महामारी के खिलाफ लड़ना होगा। जीत का गोल करने के लिए हमें कोरोना की तीसरी लहर का इंतज़ार नही बल्कि आक्रमण करना होगा।
प्रेम प्रकाश उपाध्याय ‘नेचुरल’
(लेखक कोरोना योद्धा के रूप में प्रभावितों के बीच काम करते आ रहे है)
बागेश्वर, उत्तराखंड