दो दिनों में दो हजार किमी की यात्रा करके पहुंचे ऊखीमठ
रुद्रप्रयाग। केदारनाथ धाम की कपाट पूजा के लिए रावल भीमाशंकर लिंग अपने सेवादारों के साथ रविवार उत्तराखंड पहुंच गए हैं। रविवार को वह ऊखीमठ पहुंचे। प्रशासन की टीम ने मौके पर पहुंचकर उनका हाल जानने के बाद रावल व उनके पांच सेवादारों को होम क्वारंटीन कर दिया है। लॉकडाउन के चलते केदारनाथ धाम के रावल महाराष्ट्र में फंसे हुए थे, जिसके बाद महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें उत्तराखंड आने की इजाजत दे दी।केदारनाथ के रॉवल 1008 जगतगुरू भीमाशंकर लिंग जी महास्वामी भगवान केदारनाथ के शीतकालीन गद्दीस्थल ऊखीमठ पहुंच गये हैं। महाराष्ट्र के नांदेड़ में कई दिनों तक अपने सेवकों के साथ रॉवल एकांतवास कर रहे थे। स्वास्थ्य परीक्षण कराने के बाद वे रवाना हुए और अभी यहां पर रॉवल एकांतवास में ही रहेंगे।
वहीं बदरीनाथ के रावल केरल में फस जाने से उत्तराखंड शासन ने गृह मंत्रालय को पत्र भेज़कर रावल को पहुंचाने का आग्रह किया है।बता दें कि 29 अप्रैल को भगवान केदारनाथ के कपाट खोले जाने हैं और इस बार कोरोना वैिक महामारी के कारण गिनती के ही श्रद्धालु धाम में मौजूद रहेंगे। 25 अप्रैल की रात्रि को शीतकालीन गद्दीस्थल में भैरवनाथ की पूजा-अर्चना की जायेगी और 26 अप्रैल को डोली केदारनाथ के लिए रवाना होगी। वर्षो से चली आ रही परम्परानुसार रॉवल की मौजूदगी में ही बाबा केदार के कपाट खोले जाते हैं। ऐसे में रॉवल भीमाशंकर लिंग दो दिन में दो हजार किलोमीटर वाहन का सफर करके शीतकालीन गद्दीस्थल ऊखीमठ पहुंचे। भीमाशंकर लिंग केदारनाथ के 324 वें रॉवल हैं। उनका कहना है कि धर्म और मठ की परंपरा की रक्षा के लिए वे अपने पूर्व रावलों और गुरुओं की भांति कभी भी अपनी जान की परवाह नहीं करेंगे। बताया कि अपने आश्रम महाराष्ट्र के नांदेड़ में अपने सेवकों के साथ एकान्तवास कर रहे थे। वहां से चलने से पहले उनका स्वस्थ परीक्षण हुआ और मठ पहुंचने के बाद भी स्वास्थ्य परीक्षण हुआ है। रॉवल भीमाशंकर लिंग और उनके सेवकों का स्वास्थ्य बिल्कुल ठीक है। वे ऊखीमठ में भी फिलहाल एकान्तवास में ही रहेंगे।
फोटो: केदारनाथ रॉवल भीमाशंकर लिंग (19आरडीपी3)