दुनिया खोज रही है कोरोना की दवा, पहाड़ के लोग कर रहे अपने इष्टवेद से दुआ
नैनीताल। पूरा विश्व कोरोना वायरस की दवा खोजने में जुटा है मगर नैनीताल में लोग अपने ईष्ट के दरवार में कोरोना से बचाव की मुराद मांग रहे हैं। नैनीताल के भवाली व भीमताल के दो पालिका अध्यक्षों ने घोड़ाखाल गोल्ज्यू दरवार में भगवान से विश्व शांति की कामना करते हुए कोरोना संक्रमण को खत्म करने की गुहार लगाई। इस दौरान दोनों पालिका अध्यक्षों के साथ कुछ कर्मचारियों ने भी कोरोना को खत्म करने के लिए हवन-यज्ञ भी किया। हांलाकि, मन्दिर के कपाट व गर्भगृह बंद हैं। मगर मन्दिर प्रांगण में पूजारी ने इन लोगों की पूजा करवाई। इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का भी ख्याल इन लोगों की तरफ से रखा गया।
संजय बर्मा ने कहा कि न्याय के देवता गोल्ज्यू के दरबार में विश्व शांति की कामना की है। उन्होंने बताया कि गोलू देवता से मांग की है कि वो अपने दया से लोगों को शांति दें और कोरोना वायरस को खत्म करें। वहीं, पालिका अध्यक्ष भीमताल दीपक चनौतिया ने कहा कि जो हालात देश के हैं उससे संकट और बढ़ने लगा है। लिहाजा, भगवान के दरवार में आये हैं ताकि यहां की अर्थव्यवस्था पटरी पर आ सके और लोग अपने रोजगार पर लौट सकें। गोल्ज्यू की पहाड़ में असीम कृपा रही है। न्याय के देवता के रूप में पूजे जाने वाले गोल्ज्यू को बटु भौरव का अवतार भी माना जाता है। कई स्थानों पर गोल्ज्यू को कुलदेवता के रूप में लोग पूजते हैं। मान्यता है कि पुलिस प्रशासन कोर्ट कचहरी से हारने के बाद जब कोई फरियादी गोल्ज्यू के दरवार में स्टंप पेपर या फिर किसी सादे कागज में अपनी फरियाद लगाकर टांक देता है तो गोल्ज्यू सच्चा न्याय करते हैं। यहीं कारण है कि मन्दिर में हजारों की संख्या में घंटी व लोगों द्वारा लिखे पत्र टंगे हुए नजर आते हैं। कहा जाता है कि चंपावत में स्थित गोल्ज्यू का मन्दिर सबसे पौराणिक है। इसके साथ ही अल्मोड़ा के चितई मन्दिर व नैनीताल के घोड़ाखाल में भी ग्वेल देवता का मन्दिर है। इसके साथ ही कई स्थानों पर छोटे- छोटे मन्दिर भी मौजूद हैं। सिर्फ पहाड़ के लोग ही नहीं बल्कि हजारों पर्यटक भी मत्था टेकते हैं। पहाड़ के लोगों की ग्वेल देवता के प्रति बड़ी आस्था है। हर काम में गोल्ज्यू को हमेशा ही यहां के लोग याद करते हैं। लेकिन पर्यटन सीजन के दौरान यहां हजारों पर्यटक भी इन मन्दिरों में पूजा अर्चना के लिये आते हैं।