G-KBRGW2NTQN बाल  दिवस पर कबिता – Devbhoomi Samvad

बाल  दिवस पर कबिता

बच्चों से बातें करना
अच्छा लगता है
खुले गगन में टिमटिमाते ये तारे
इसीलिए इनका चमकना अच्छा लगता है।

अभी नही सीखी हैं बच्चों ने
ऊंच-नीच दुनिया की,
इसीलिए किसी में कोई अंतर
इनको नज़र नही आता है।

जो काम करा न सके बड़े-बड़े धरम-ग्रंथ,पुराण
बच्चें बात-बातों में उसे
हल करा जाते है।

दूर ही रखो बच्चों को
छल, कपट,झूठ शान-शौकत से,
भला सियासत को छोड़कर…….,
किसे ये अच्छा लगता हैं।

अभी मिलावट नही है इन बीज़ों में,
इन्हें ऐसे ही बोना अच्छा लगता है।
ये नन्हें सपनें बड़े होंगें एक दिन
इन्हें आकाश छूंने दो,
इनको उड़ना अच्छा लगता है।

महक बिखेरेंगे जहाँ में,
आबाद हर चमन होंगे
प्रेम, खुशी,प्यार-मोहब्बत की लकीर
जमीं से आसमां तक इन्हें खींचना आता हैं।

प्रेम प्रकाश उपाध्याय ‘नेचुरल’ उत्तराखंड

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