उत्तराखण्ड गमगीन, माटी के प्रति था लगाव
देहरादून। तमिलनाडु के कुन्नूर में बुधवार दोपहर को हुए हेलीकाप्टर हादसे में उत्तराखंड का गौरव मिट गया है। भारतीय वायुसेना के एमआई-17 वी फाइव हेलीकाप्टर में सवार चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) बिपिन रावत व उनकी पत्नी मधुलिका रावत की इस हादसे में दर्दनाक मौत हो गई है। बताया जा रहा है कि हेलीकाप्टर में 14 लोग सवार थे, जिनमें से 13 की मौत हो गई है, जबकि वायुसेना का एक ग्रुप कैप्टन वेलिंगटन मिलिट्री अस्पताल में मौत व जिंदगी के बीच जूझ रहा है।
दोपहर साढ़े 12 बजे के आसपास जैसे ही खबर आई कि कुन्नूर में नीलगिरी की पहाड़ियों के पास घने जंगल में वायुसेना का हेलीकाप्टर क्रैश हो गया है। कुछ देर बाद पता चला कि इस हेलीकाप्टर में सीडीएस विपिन रावत व उनकी पत्नी भी सवार थी। इससे राज्यवासियों की सांसे थम गई।
शाम छह बजकर तीन मिनट पर जैसे ही वायुसेना ने ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी कि हेलीकाप्टर हादसे में सीडीएस बिपिन रावत व उनकी पत्नी मधुलिका रावत समेत 13 लोगों की मौत हो गई तो हर शख्स स्तब्ध रह गया। यूं लगा नीलगिरी की पहाड़ियों में देवभूमि का सूरज हमेशा के लिए डूब गया है। जनरल दलबीर सिंह सुहाग के बाद दिसंबर 2016 में 27वें सेना प्रमुख जनरल बने बिपिन रावत देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) नियुक्त हुए थे।
30 दिसंबर 2019 को सीडीएस के पद पर उनकी नियुक्ति होने के बाद जनरल रावत ने एक जनवरी 2020 को पदभार संभाला था। भारतीय सशस्त्र सेनाओं के मध्य बेहतर सामंजस्य बनाने के साथ ही आधुनिकीकरण व मजूबती के कार्य को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से पहली मर्तबा सृजित हुए सीडीएस के पद पर जनरल बिपिन रावत की नियुक्ति होने से यह बात एक बार फिर साबित हुई थी कि देश की सुरक्षा के मोर्चे पर उत्तराखंड अग्रणी भूमिका में है। पूर्व आइबी चीफ और मौजूदा समय में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी उत्तराखंड से ही हैं।
देवभूमि की माटी में जन्में कई और लोग भी देश की सुरक्षा के मोच्रे पर बड़ी जिम्मेदारियां संभाल चुके हैं। इनमें पूर्व सेना प्रमुख जनरल बीसी जोशी, पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल डीके जोशी, पूर्व रॉ प्रमुख अनिल धस्माना, तटरक्षक बल के मुखिया रहे राजेंद्र सिंह व डीजीएमओ की जिम्मेदारी संभाल चुके ले जनरल अनिल भट्ट शामिल रहे हैं। सेना प्रमुख रहते हुए जनरल बीसी जोशी की भी रहस्यमय मौत हुई थी। अब सीडीएस बिपिन रावत की हेलीकाप्टर हादसे में मौत होने की खबर ने पूरे राज्य को झकझोर दिया।
40 साल से अधिक की सैन्य सेवा में बेखौफ अंदाज के लिए अपनी अलग पहचान बनाने वाले जनरल रावत का अपनी मातृभूमि उत्तराखंड के प्रति जो प्रेम था उसे लोग हमेशा याद रखेंगे। सेना के शीर्ष ओहदे पर पहुंचने के बाद भी अपनी माटी के प्रति उनका लगाव कभी कम नहीं हुआ। पिछले साल ही वह अपनी पत्नी के साथ अपने ननिहाल उत्तरकाशी और उसके बाद अपने पैतृक गांव सैंज (पौड़ी) पहुंचे थे। तब उन्होंने गांव में घर बनाने की बात भी कही थी। लेकिन उनकी यह इच्छा पूरी हो न सकी।
एक जनवरी 2020 को उन्होंने पदभार संभाला था। इस पद पर उनका कार्यकाल दिसंबर 2022 तक था। लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था। वेलिंगटन आर्मी स्टाफ कालेज में सेना के भावी कमांडरों को व्याख्यान देने के बाद वह दिल्ली वापस लौटते कि इससे पहले कोयंबटूर-कुन्नूर रूट पर हुए हेलीकाप्टर हादसे का शिकार हो गए और सभी को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया।
देहरादून। तमिलनाडु के कुन्नूर में बुधवार दोपहर को हुए हेलीकाप्टर हादसे में उत्तराखंड का गौरव मिट गया है। भारतीय वायुसेना के एमआई-17 वी फाइव हेलीकाप्टर में सवार चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) बिपिन रावत व उनकी पत्नी मधुलिका रावत की इस हादसे में दर्दनाक मौत हो गई है। बताया जा रहा है कि हेलीकाप्टर में 14 लोग सवार थे, जिनमें से 13 की मौत हो गई है, जबकि वायुसेना का एक ग्रुप कैप्टन वेलिंगटन मिलिट्री अस्पताल में मौत व जिंदगी के बीच जूझ रहा है।
दोपहर साढ़े 12 बजे के आसपास जैसे ही खबर आई कि कुन्नूर में नीलगिरी की पहाड़ियों के पास घने जंगल में वायुसेना का हेलीकाप्टर क्रैश हो गया है। कुछ देर बाद पता चला कि इस हेलीकाप्टर में सीडीएस विपिन रावत व उनकी पत्नी भी सवार थी। इससे राज्यवासियों की सांसे थम गई।
शाम छह बजकर तीन मिनट पर जैसे ही वायुसेना ने ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी कि हेलीकाप्टर हादसे में सीडीएस बिपिन रावत व उनकी पत्नी मधुलिका रावत समेत 13 लोगों की मौत हो गई तो हर शख्स स्तब्ध रह गया। यूं लगा नीलगिरी की पहाड़ियों में देवभूमि का सूरज हमेशा के लिए डूब गया है। जनरल दलबीर सिंह सुहाग के बाद दिसंबर 2016 में 27वें सेना प्रमुख जनरल बने बिपिन रावत देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) नियुक्त हुए थे।
30 दिसंबर 2019 को सीडीएस के पद पर उनकी नियुक्ति होने के बाद जनरल रावत ने एक जनवरी 2020 को पदभार संभाला था। भारतीय सशस्त्र सेनाओं के मध्य बेहतर सामंजस्य बनाने के साथ ही आधुनिकीकरण व मजूबती के कार्य को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से पहली मर्तबा सृजित हुए सीडीएस के पद पर जनरल बिपिन रावत की नियुक्ति होने से यह बात एक बार फिर साबित हुई थी कि देश की सुरक्षा के मोर्चे पर उत्तराखंड अग्रणी भूमिका में है। पूर्व आइबी चीफ और मौजूदा समय में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी उत्तराखंड से ही हैं।
देवभूमि की माटी में जन्में कई और लोग भी देश की सुरक्षा के मोच्रे पर बड़ी जिम्मेदारियां संभाल चुके हैं। इनमें पूर्व सेना प्रमुख जनरल बीसी जोशी, पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल डीके जोशी, पूर्व रॉ प्रमुख अनिल धस्माना, तटरक्षक बल के मुखिया रहे राजेंद्र सिंह व डीजीएमओ की जिम्मेदारी संभाल चुके ले जनरल अनिल भट्ट शामिल रहे हैं। सेना प्रमुख रहते हुए जनरल बीसी जोशी की भी रहस्यमय मौत हुई थी। अब सीडीएस बिपिन रावत की हेलीकाप्टर हादसे में मौत होने की खबर ने पूरे राज्य को झकझोर दिया।
40 साल से अधिक की सैन्य सेवा में बेखौफ अंदाज के लिए अपनी अलग पहचान बनाने वाले जनरल रावत का अपनी मातृभूमि उत्तराखंड के प्रति जो प्रेम था उसे लोग हमेशा याद रखेंगे। सेना के शीर्ष ओहदे पर पहुंचने के बाद भी अपनी माटी के प्रति उनका लगाव कभी कम नहीं हुआ। पिछले साल ही वह अपनी पत्नी के साथ अपने ननिहाल उत्तरकाशी और उसके बाद अपने पैतृक गांव सैंज (पौड़ी) पहुंचे थे। तब उन्होंने गांव में घर बनाने की बात भी कही थी। लेकिन उनकी यह इच्छा पूरी हो न सकी।
एक जनवरी 2020 को उन्होंने पदभार संभाला था। इस पद पर उनका कार्यकाल दिसंबर 2022 तक था। लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था। वेलिंगटन आर्मी स्टाफ कालेज में सेना के भावी कमांडरों को व्याख्यान देने के बाद वह दिल्ली वापस लौटते कि इससे पहले कोयंबटूर-कुन्नूर रूट पर हुए हेलीकाप्टर हादसे का शिकार हो गए और सभी को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया।