G-KBRGW2NTQN क्षणिकाएं – Devbhoomi Samvad

क्षणिकाएं

युद्ध

साफ-सुथरी गोलमेज़ पर
कुछ जेंटलमैन बैठे हैं।
युद्ध रोकने का प्लान तय करते हैं
दूसरी ओर——
जीवन संकटों से घिरकर
मौत तक आ चुका हैं
जेंटलमैन अभी भी बैठे हैं
निर्दोष, बेक़सूर लोंगो के लहु से रंगी……
गोलमेज़ पर बिछी मेज़पोस पर।

पाकिस्तान

जरूरी नही पड़ोस में हो
दहलीज़ के बाहर से ही हो
हर काम तकाजे से अंजाम देते हैं हम
इसलिए………..?
कलंक लगाकर, अकारण
दर्ज विरोध करते हो
कैसे कह दू, तुम अभी तक पड़ोस में ही हो ???

परीक्षा हॉल

परीक्षा हॉल से बाहर जाते छात्रों को देखकर ०००
छाया की तरह पीछे चला गया
ज्यादा दूर तक तो नही-
कुछ कदम चलकर,
खुद को खोज लिया।

वैज्ञानिक/अवैज्ञानिक

लगातार कठिन परिश्रम से,
पसीना बहाते हुए
कुछ विज्ञान समझ पाया।
हाथ की लकीरों, जन्मकुंडली वांच कर
बिना पसीना बहाए
अविज्ञान से विज्ञान समझा गया?

शांति/अशांति

भोर में, सूरज की लालिमा से पहले मुहर्त में
बड़बड़ाकर, छलनी सीने का कर
शांति पाठ किया गया
दिन भर अशांति रहीं।

पक्ष/विपक्ष

आधुनिक रहन-सहन,खान-पान,वेश-भूषा
कितना सही,कितना गलत ?
डिबेट चल रही थी,
थोड़ा आगे तक पक्ष-विपक्ष दोनों थे
संस्कारों के समय
सब विपक्ष में थे।
अकेले संस्कार अपने पक्ष में
सैकड़ो, हज़ारो, लाखों के बीच,
वट वृक्ष की तरह
कुछ लटके,झटके,एकाध गिरे सड़े पेडों के बीच
खड़ा था।

जल्दीबाज़ी

दूधपीते बच्चे को
दुनियादारी सीखने के चक्कर में
वहाँ आदमी मर कर जलाया जाता हैं
दिखा दिया।
अभी सूरज ठीक से उगा भी नही
और सांझ की तैयारी करा दी
जाने किस बात की जल्दी थी।

प्रेम “नेचुरल”
उत्तराखंड

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