आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों और आशा कार्यकर्ताओं से स्वास्थ्य स्क्रीनिंग का सीएम का दावा छलावाः धीरेंद्र प्रताप
देहरादून। उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के उस दावे को छलावा बताया है जिसमें उन्होंने कहा है कि राज्य के 36000 आंगनबाड़ी कार्यकत्री और 10,000 आशा कार्यकत्री अगले 10 दिनों में राज्य भर के एक करोड़ से ज्यादा लोगों की स्वास्थ्य स्क्रीनिंग करके राज्य को कुरौना मुक्त कर देंगे। धीरेंद्र प्रताप ने कहा कि यह बड़े आश्चर्य की बात है कि ना तो आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को और ना ही आशा कार्यकत्रियों को कोरोना के संबंध में कोई भी उपयुक्त व आवश्यक प्रशिक्षण या चिकित्सीय उपकरण उपलब्ध है। ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री द्वारा राज्य भर के एक करोड़ लोगों के स्वास्थ्य का थर्मल परीक्षण कैसे संभव हो सकेगा।
यह एक किवदंती से ज्यादा कुछ दिखाई नहीं देता। उन्होंने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से राज्य के एक करोड लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ ना किए जाने की अपील करते हुए कहा है कि बेहतर है कि वे कम से कम राज्य भर में 15 दिन का ष्थर्मल स्क्रीनिंग का प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाएं और उसके बाद इस प्रकार की यदि कोई घोषणा करें तो उसमें कुछ हद तक लोगों का भला हो सकता है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के द्वारा आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों को प्रति मास मात्र साडे 7500 मानदेय दिया जाता है जबकि आशा कार्यकत्रियों को नाममात्र का 2000 प्रतिमाह मानदेय दिया जाता है। ऐसी स्थिति में मात्र साडे 7500 और 2000 के लिए वह सारा दिन पहाड़ के साडे 16000 गांव और 95 ब्लॉकों में और उसके अलावा तमाम नगरों, उप नगरों में क्यों अपनी जान जोखिम में डालकर, अपना समय लगाएंगे और क्यों अपने स्वास्थ्य पर संकट मोल लेगी। यह भी एक चिंता का विषय है। धीरेंद्र प्रताप ने कहा कि यद्यपि मुख्यमंत्री ष्लाउडस्पीकर घोषणाओंष् के लिए नहीं जाने जाते हैं परंतु कोरोना संकट के दौर में उनकी एक घोषणा ष्छलावेष् से ज्यादा नहीं दिखाई देती। उन्होंने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मांग की है कि वे अपनी इस घोषणा को मूर्त रूप देने के लिए जहां आंगनवाड़ी और आशा कार्यकत्रियों की मानदेय की राशि कम से कम घ्12000 प्रति माह से लेकर घ्10000 प्रति माह तक करने का ऐलान करें वही एक बृहत प्रशिक्षण कार्यक्रम ष्चलाकर और उन्हें तमाम चिकित्सीय उपकरण उपलब्ध कराकर अपनी इस घोषणा को जमीन पर लाने का प्रयास करें। तभी यह घोषणा उनकी एक जमीनी और सच्चाई पर आधारित घोषणाष् साबित हो सकती है।