किराया बढ़ाने पर भाकपा ने जताया रोष
टिहरी। सार्वजनिक परिवहन का किराया दोगुना किये जाने का भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने विरोध करते इसे जनविरोधी फैसला बताया है। भाकपा के अनुसार कोरोना महामारी झेल रहे प्रदेश के गरीब तबके पर यह दोहरी मार है। भाकपा ने सरकार से इस मामले मे पुनर्विचार किये जाने की मांग की है। भाकपा के पूर्व प्रदेश सह सचिव डॉ. गिरधर पण्डित का कहना है कि सरकार के इस फैसले से मध्यम व गरीब तबके पर जरूरत से ज्यादा आर्थिक दबाब बढ़ेगा। कोरोना महामारी से पहले ही यह तबका रोजी रोटी के गहरे संकट से गुजर रहा है।
पचास फीसदी सवारियां ले जाने पर परिवहन को होने वाले घाटे को मध्यम व गरीब की जेब से भरना सरकार का पूरी तरह अन्याय व दुर्भाग्यपूर्ण फैसला है। सरकार को घाटे की भरपाई के लिए किराये का 50 फीसदी अधिभार स्वयं, 25 फीसदी बस मालिक व 25 फीसदी सवारियों पर डालना ज्यादा बेहतर होता। मगर सरकार ने घाटे की भरपाई आम जनता की जेब से करते हुए जन विरोधी फैसला लिया। सरकार के मुताबिक दोगुना किराया कोरोना काल तक ही लागू रहेगी मगर यह कोई नहीं जानता कि कोरोना का संकट कब तक रहेगा। भाकपा के अनुसार सरकार के इस फैसले का लाभ अनजाने ही छोटे वाहन मालिको के उठाये जाने की सम्भावना है। सरकार के तय नये बस किराये व छोटे वाहनो के किराये में अधिक अंतर नहीं होने पर अधिकांश लोग छोटे वाहनो से यात्रा को अधिक प्राथमिकता दे सकते है। भाकपा के ज्योति बिज्लवाण, राजेश नेगी, सुदर्शन असवाल, सुशील ध्यानी आदि ने सरकार के फैसले का विरोध किया है।