अभिमन्यु ईश्वरन…एक नया सितारा
दिव्य नौटियाल
भारतीय क्रिकेट में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। कई ऐसे क्रिकेटर है जो प्रतिभा होने के बावजूद वो लगातार उपेक्षा का शिकार हो रहे हैं। 80 और 90 के दशक में अगर कोई खिलाड़ी घरेलू क्रिकेट में दमदार प्रदर्शन करता था तो उसको सीधे भारतीय टीम में जगह मिल जाती थी लेकिन अब हालात ऐसे नहीं है।
घरेलू क्रिकेट में रनों का अंबार लगाने के बावजूद इन खिलाडिय़ों के लिए टीम इंडिया के दरवाजे नहीं खुलते हैं। हालांकि आईपीएल में अगर कोई खिलाड़ी चमकता है तो उसके लिए दिल खोलकर टीम इंडिया स्वागत करती है लेकिन रणजी ट्रॉफी या फिर बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त टूर्नामेंट में रन बनाने के बावजूद ऐसे खिलाड़ी अब तक भारतीय टीम में जगह बनाने में संघर्ष कर रहे हैं। सरफराज खान और अभिमन्यु ईश्वरन का इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। दोनों ही खिलाड़ी लंबे वक्त घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन उनको भारत से खेलने का मौका नहीं मिल रहा है।
बात अगर देहरादून में जन्मे अभिमन्यु ईश्वरन लगातार रनों की बारिश कर रहे हैं लेकिन बीसीसीआई अब तक उनको लेकर गम्भीर नजर नहीं आया है। उत्तराखंड के युवा क्रिकेटर अभिमन्यु ईश्वरन को 2022 में बांग्लादेश के खिलाफ टेस्ट सीरीज में उनको रोहित शर्मा की जगह भारतीय टीम में शामिल किया गया था लेकिन उनको अंतिम 11 में शामिल नहीं किया गया था। उनके चयन से उत्तराखंड में खेल प्रेमी बेहद ख़ुश थे लेकिन अब तक वो अपनी बारी का इंतज़ार कर रहे हैं।
29 साल के अभिमन्यु ईश्वरन दाएं हाथ के बल्लेबाज़ हैं और साथ में लेग ब्रेक गुगली करने में माहिर है। उनके पिता आरपी ईश्वरन का सपना है कि उनका बेटा भारतीय टीम को खेले और इसके लिए वो लगातार अपने बेटे का हौसला बढ़ा रहे हैं। बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि अभिमन्यु के पिता ने अपने बेटे के करियर के खातिर अकाउंटेंसी का काम छोडक़र क्रिकेट कोचिंग देने का काम शुरू कर दिया और अपने बेटे को एक बेहतरीन क्रिकेटर बनाने के लिए उनका पूरा फोकस रहा।
इतना ही नहीं उनके पिता आरपी ईश्वरन की आंखों में क्रिकेटर बनने का सपना तैर रहा था लेकिन वो पूरा नहीं हो सका। अब वो अपने बेटे के सपनों को उड़ान देने के लिए देहरादून में 1988 से अभिमन्यु क्रिकेट अकादमी चला रहे हैं। अभिमन्यु ईश्वरन ने बचपन में क्रिकेट का बल्ला थाम लिया था और अपनी नानी से कहा था कि देखना नानी मैं भीं एक दिन इंडिया खेलूंगा और नानी के सपने और पिता के अरमानों को पूरा करने के लिए अभिमन्यु ईश्वरन ने कोई कसर नहीं छोड़ी है और घरेलू क्रिकेट में बंगाल की तरफ से अपना सिक्का जमा रखा है।
शुरुआती दौर में अपने पिता से कोचिंग लेने के वाले अभिमन्यु 2004 में कोलकाता आ गए और वहां पर बनगांव में निर्मल सेन गुप्ता की निगरानी में क्रिकेट की बारिकियों को सीखने को लगे और फिर इसके बाद उन्होंने पीछे मुडक़र नहीं देखा। राहुल द्रविड़ को अपना आर्दश मानने वाले अभिमन्यु ईश्वरन को अभी भी टीम इंडिया की कैप का इंतेजार है। उनकी प्रतिभा को देखते हुए बंगाल ने उनको टीम की कमान सौंप दी। घरेलू क्रिकेट में उनका प्रदर्शन इतना ज्यादा शानदार रहा कि बीसीसीआई ने उनको इंडिया-ए की कमान सौंपी है।
बंगाल के अनुभवी खिलाड़ी अभिमन्यु ईश्वरन को इंग्लैंड लायंस के खिलाफ चार दिवसीय मैच के लिए 13 सदस्यीय भारत ‘ए’ टीम का कप्तान बनाया गया है। हाल में दक्षिण अफ्रीका दौरे पर भी गए थे। उन्होंने घरेलू क्रिकेट में 89 मैचों में 6585 रन बनाये और उनका औसत 47.03 का रहा है जो काफी अच्छा माना जायेगा जबकि उन्होंने 22 शतक भी जड़े हैं। कुल मिलाकर पूरा उत्तराखंड चाहता है कि जल्द इस क्रिकेटर को भारतीय टीम की कैप मिले। बीसीसीआई ऐसी प्रतिभा को आगे लाने के लिए अक्सर तैयार रहती है और उम्मीद है जल्द इस क्रिकेटर को भारत की तरफ से खेलने का मौका मिलेगा।