मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना से अधिक से अधिक रोजगार सृजन किये जाएं
देहरादून। मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह की अध्यक्षता में राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना की राज्य स्तरीय अनुश्रवण एवं अनुमोदन समिति की बैठक सम्पन्न हुई। बैठक में एनसीडीसी के मैनेजिंग डायरेक्टर संदीप नायक ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से प्रतिभाग किया। मुख्य सचिव ने सम्बिन्धत अधिकारियों को आदेश दिये कि मुख्यमंत्री के निर्देशों के क्रम में परियोजना में ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन रोकने, कृषकों के जीवन स्तर में सुधार एवं कोविड-19 की स्थितियों से प्रदेश में आये प्रवासी भाइयों के लिए संचालित मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना से अधिक से अधिक रोजगार सृजन किये जाये।
उन्होंने सचिव सहकारिता को परियोजनान्तर्गत 2019-20 में स्वीकृत धनराशि का तेजी से उपयोग करने के लिए प्रवासी युवाओं को डेरी, भेड़-बकरी पालन, मत्स्य एवं अन्य कुटीर उद्योग जैसी रोजगारपरक गतिविधियों से जोड़ते हुए स्वरोजगार देने एवं उनका आर्थिक स्तर उठाने के निर्देश दिये। सचिव आर0 मीनाक्षी सुन्दरम ने प्रस्तुतिकरण में बताया कि परियोजना में 2019-20 का लगभग 40 करोड़ रूपये अवशेष है। उन्होंने बताया कि परियोजना में दुग्ध विकास विभाग द्वारा 12 करोड़ 54 लाख रूपये का उपयोग किया गया, जिससे उधमसिंह नगर में गठित प्रतापपुर दुग्ध उत्पादक सहकारी समिति में 50 दुधारू पशुओं की क्षमता का सहकारी डेरीफार्म, मिल्क पार्लर स्थापना, दुग्ध संघ देहरादून, चमोली, अल्मोड़ा एवं चम्पावत को 4.75 करोड़ रूपये की कार्यशील पूंजी देकर दुग्ध उत्पादकों को तुरन्त दुग्ध मूल्य भुगतान करने के कार्य किये गये। उन्होंने बताया कि योजना में 03 से 05 दुधारू पशुओं की इकाई स्थापना, दुग्ध पालकों के लिए पंजाब, हरियाणा से पशु मेले लगाने जैसी गतिविधियां भी संचालित है। वर्तमान में 2019-20 में योजना में दुग्धपालकों 265 दुधारू पशु उपलब्ध कराये जा रहे हैं तथा इस वर्ष 10 हजार दुधारू पशु क्रय कराये जाने का लक्ष्य है।
योजना में 20 प्रतिशत अनुदान के साथ 500 मिल्क बूथ स्थापित किये जा रहे हैं। परियोजना में 10 हजार परिवारों को संगठित कर सहकारी समितियों का निर्माण, रूद्रप्रयाग एवं अल्मोड़ा जनपद में कल्सटर आधारित बकरी ईकाइयों की स्थापना की गई है। जनपद अल्मोड़ा के द्वाराहाट एवं रूद्रप्रयाग में बकरी ईकाइयों की स्थापना का कार्य किया गया है। गत वित्तिय वर्ष में मात्स्यिकी येजना में ट्राउट फार्मिंग, एग्लिंग बीटों के विकास आदि में 10 करोड़ 61 लाख रूपये का उपयोग किया गया है। सचिव द्वारा पंगेशियस फार्मिंग, मेजर कार्प फार्मिंग की प्रगति पर भी प्रस्तुतीकरण दिया गया ।