G-KBRGW2NTQN जिलाधिकारी के निर्देशन में बैली ब्रिज को 48 घंटे में तैयार – Devbhoomi Samvad

जिलाधिकारी के निर्देशन में बैली ब्रिज को 48 घंटे में तैयार

सत्यप्रकाश ढौंडियाल
घनसाली। घनसाली (चिरबटिया-तिलवाडा मोटर मार्ग) मुयालगांव में बहे पुल के स्थान पर लगे बैली ब्रिज से मोटर वाहनों की आवाजाही हुई शुरू।घनसाली तहसील क्षेत्रांतर्गत 31 जुलाई, 2024 को देर रात्रि हुई अतिवृष्टि/बादल फटने से जखन्याली-मुयाल गांव में काफी नुकसान हुआ। जहां एक दुकान के बह जाने से मलवे में दबकर तीन लोगों की मौत हुई। वहीं एस.एच.15 घनसाली (चिरबटिया-तिलवाडा मोटर मार्ग) मुयालगांव में पुल बह गया था। मुख्यमंत्री पुष्कर धामी के निर्देशन और जिलाधिकारी मयूर दीक्षित की देख-रेख में 18 मीटर लंबा बैली ब्रिज पुल बनकर तैयार हो गया है।

अधिशासी अभियंता लोक निर्माण विभाग घनसाली दिनेश नोटियाल ने बताया कि बैली ब्रिज में लोड टेस्टिंग करने के बाद मोटर वाहनों की आवाजाही शुरू हो गई है। उन्होंने बताया कि बैली ब्रिज 25 एमटी क्षमता का है तथा भारी वाहनों के लिए सुरक्षित है। उन्होंने कहा कि जिलाधिकारी के निर्देशन में बैली ब्रिज को 48 घंटे में तैयार किया गया। घनसाली क्षेत्र से लगे जखने वाली पट्टी व हिंदू पट्टी के लोगों की आवाजाही काफी लंबे समय से बंद थी जिसे आज फिर से शुरू कर दिया गया है।

आपको बतादे कि घनसाली तिलवाड़ा मोटर मार्ग का निर्माण आजाद भारत के उत्तर प्रदेश विधान सभा के प्रथम विधान सभा चुनाव में क्षेत्र से आजाद उम्मीदवार तथा 72 पट्टियों के मत प्राप्त करने वाले तत्कालीन भूत पूर्व विधायक स्व श्री सते सिंह राणा जी ने 1960 के दशक में बनवाया था। राणा जी माता काली के परम भक्त थे , आज भले क्षेत्र की जनता राणा जी को भूल चुकी है परंतु माता काली अपने भक्त को नही भुली है

इस बार इस केदारनाथ मोटर मार्ग में मुयाल गांव के पास बना पुल जो कि पांच दिन पहले31 जुलाई 2024 को हुए भूस्खलन से क्षति ग्रस्त हो गया था जिसे शक्तिलाल शाह विधायक घनसाली के के कुशल नेतृत्व में शासन प्रशासन ने तीन दिन में तैयार करके जैसे ही आम जन मानस की आवाजाही के खोला है वैसे ही संयोग बस माता कालिका की डोली का ढोल नगाड़ों के साथ आगमन होना भी शुभ लक्षण का संकेत जहां कुछ लोग संयोग मान रहे है वही राणा जी की भक्ति भाव से माता काली ने क्षेत्र को दिखा दिया है कि भले मेरा भक्त नही है परंतु मेरे भक्त की भक्ति अदृश्य रूप में आज भी जीवित है येशा आपदा प्रभावितों और आम जनमानस का मानना है जो माता कालिका डोली ठीक उद्घाटन के समय पर आ पंहुची।

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