नरेंद्र सिंह नेगी की रचनाएं और उनकी मीमांसा अब अमेजन पर उपलब्ध
नेगी जी की 75वीं वर्षगांठ पर पाठकों को विशेष छूटदे
हरादून। मातृभाषा को समर्पित प्रकाशन विनसर पब्लिशिंग कं. ने उत्तराखंड के अप्रतिम लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी के रचना संसार और उस पर विभिन्न विद्वानों द्वारा की गई मीमांसा से संबंधित पुस्तकें ऑनलाइन मार्केटिंग साइट अमेजन पर उपलब्ध कर दी गई हैं।
विनसर पब्लिशिंग कं. के संचालक कीर्ति नवानी ने बताया कि सोमवार 12 अगस्त को लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी के जन्मदिन पर प्रसिद्ध साहित्यकार और वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ललित मोहन रयाल द्वारा की गई श्री नेगी के एक सौ एक गीतों की मीमांसा के रूप में अब तक की विशिष्ट पुस्तक पाठकों के लिए उपलब्ध हो गई है और अमेजन के माध्यम से अपने देश और सात समंदर पार भी नेगी जी के प्रशंसकों, हिन्दी गढ़वाली के अध्येताओं और साहित्य प्रेमियों को उपलब्ध हो जायेगी।
इस पुस्तक के प्रति पाठकों में विशेष उत्साह देखा जा रहा है। अब तक अनेक लोग इसे बुक कर चुके हैं। लोकार्पण की गरिमा और परंपरा को कायम रखते हुए लोकार्पण के बाद पुस्तक पाठकों को उपलब्ध कराई जायेगी।
उत्तराखण्ड लोक समाज और विनसर पब्लिशिंग कं. के तत्वावधान में 12 अगस्त को सायं चार बजे से उत्तराखण्ड के अप्रतिम कवि व लोक गायक नरेन्द्र सिंह नेगी का जन्म दिन पर भव्य और गरिमामय समारोह राजधानी देहरादून में संस्कृति विभाग के प्रेक्षागृह में आयोजित किया जा रहा है। इसमें श्री नेगी के रचना संसार से पाठकों को रू ब रू होने का मौका भी मिलेगा और साथ ही श्री नेगी के ऑटोग्राफ भी पाठक अपनी प्रति पर ले सकेंगे।
वरिष्ठ साहित्यकार और आईएएस अधिकारी ललित मोहन रयाल द्वारा नरेन्द्र सिंह नेगी के 101 चुनिंदा गीतों पर एकाग्र ‘कल फिर जब सुबह होगी’ पुस्तक की सबसे बड़ी खासियत इस पुस्तक की भूमिका है, जो इसे आज तक नेगी जी पर किये गये काम से इसे अलग स्थापित करती है, इस पुस्तक की भूमिका 66 पेज तक विस्तार पायी हुई है। श्री नेगी की रचनाधर्मिता की स्वर्ण जयन्ती और जीवन यात्रा के 75 वर्ष पूर्ण होने पर यह अपनी तरह का अनूठा कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है।
विनसर पब्लिशिंग कं. द्वारा अब तक श्री नेगी के गीतों की पुस्तक “खुचकंडी”, “गाण्युं की गंगा स्याण्युं का समोदर”, “तुम दगड़ी ये गीत राला”, नेगी द्वारा रचित गढ़वाली फिल्मी गीतों का संग्रह “तेरी खुद तेरो ख्याल”, “अब जबकि” प्रकाशित हो चुकी हैं। उनके जन सरोकार के गीतों पर “मुट्ट बोटिक रख” पुस्तक पहाड़ प्रकाशन ने छापी है। इसके अलावा दीनदयाल सुंदरियाल ने “नरेंद्र गीतिका” नाम से श्री नेगी के गीतों का हिंदी अनुवाद किया है।
श्री नवानी के अनुसार श्री रयाल से पहले गढ़वाल विश्वविद्यालय के प्रौढ़ शिक्षा विभाग ने “नरेंद्र सिंह नेगी के गीतों में जनसरोकार” शीर्षक से एक विशिष्ट ग्रंथ प्रकाशित किया। इसे भी विनसर पब्लिशिंग कं. ने छापा है किंतु ललित मोहन रयाल द्वारा “कल फिर सुबह होगी” शीर्षक से प्रकाशित ग्रंथ एक बड़ी लकीर के रूप में सामने आ रहा है। विनसर प्रकाशन का यह विशिष्ट उद्यम है। इसलिए लोकार्पण से पूर्व ही इसकी मांग होने लगी है। श्री नेगी की रचनाधर्मिता के 40 वर्ष पूर्ण होने पर दिल्ली में रह रहे प्रवासी नेता डॉ. विनोद बछेती ने “नरेंद्र सिंह नेगी की गीतयात्रा” शीर्षक से डॉ. गोविंद सिंह और उर्मिलेश भट्ट के संपादन में प्रकाशित की थी। उसे भी विनसर ने ही छापा था।
श्री नवानी ने बताया कि गढ़रत्न नेगी जी की 75वीं वर्षगांठ पर नेगी जी के सम्पूर्ण रचना संसार और मातृभाषा पर केंद्रित समस्त पुस्तकों को विशेष छूट पर उपलब्ध कराया जाएगा।