सुप्रीम कोर्ट का सुप्रीम फैसला, उपनल क्रर्मियों के हित में होंगे नियमित
सुप्रीम कोर्ट से छह साल बाद आया फैसला, 22 हजार से अधिक उपनल कर्मियों में खुशी
देहरादून। उपनल कर्मचारियों के मामले में सुप्रीम कोर्ट में प्रदेश सरकार को झटका लगा है। क्योंकि राज्य के 22 हजार से अधिक उपनल कर्मचारियों से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की एसएलपी खारिज कर दी है।
वर्ष 2018 में नैनीताल हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए उपनल कर्मचारियों के लिए नियमावली बनाने का आदेश दिया था। जिसमें राज्य सरकार को कहा गया था कि उपनल कर्मचारियों के लिए जब तक नियमावली नहीं बनती है, समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जाए और नियमितिकरण किया जाए। प्रदेश सरकार हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चली गई थी।
राज्य सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी पर आज सुप्रीम कोर्ट के एआरओ राहुल प्रताप और उनकी टीम द्वारा जिरह की गई। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार द्वारा दायर एसएलपी को खारिज करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट द्वारा 2018 में उपनल कर्मियों के पक्ष में दिए गए फैसले को यथावत रखते हुए सरकार को कार्रवाई करने का आदेश पारित किया है।
सुप्रीम कोर्ट में प्रदेश सरकार द्वारा दायर एसएलपी खारिज होने से उपनल कर्मियों में खुशी की लहर है। उपनल कर्मचारी महासंघ ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है। महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष विनोद गोदियाल ने कहा कि आखिरकार उपनल कर्मियों का संघर्ष आज ऐतिहासिक फैसले के रूप में सामने आया है।
कार्यकारी अध्यक्ष महेश भट्ट ने कहा कि उपनल कर्मियों को न्यायपालिका पर भरोसा था और आज उसका परिणाम जीत के रूप में हमारे सामने है। महामंत्री विनय प्रसाद ने कहा कि न्याय मिलने में भले ही देर हुई पर अंधेर नहीं हुई है। सुप्रीम फैसला उन कर्मियों के पक्ष में आया जो वर्षों से अपनी सेवाएं विभागों में दे रहे हैं।