उत्तराखण्ड मंत्रीमंडल की बैठकः मलिन बस्तियों को फिर मिला 3 साल का अभयदान
कैबिनेट की बैठक में लाये गए कुल 30 प्रस्ताव
देहरादून। उत्तराखंड सरकार द्वारा एक बार फिर राज्य की लगभग 582 उन मलिन बस्तियों में रहने वालों को आगामी 3 साल के लिए अभयदान दे दिया गया है जिन्हें हटाये जाने का फैसला हाई कोर्ट द्वारा 2017 में दिया गया था।
सचिवालय में आज हुई कैबिनेट बैठक में सरकार द्वारा कई अहम फसलों पर अपनी स्वीकृति की मोहर लगा दी गई है। आज की बैठक में कुल 30 प्रस्तावों पर विचार किया गया जिसमें मलिन बस्तियों के नियमितीकरण से जुड़ा वह फैसला भी शामिल था जिस पर सभी की नजरे लगी हुई थी।
यह तीसरा मर्तबा है जब सरकार ने मलिन बस्तियों को न हटाने के संबंध में अध्यादेश लाकर उन्हें तीसरी बार फिर 3 साल के लिए अभयदान दिया गया है। 2018 व 2021 में सरकार 3कृ3 साल का अध्यादेश लाकर इन मलिन बस्तियों का अस्तित्व बचा चुकी है आज सरकार ने फिर से अध्यादेश को अगले 3 साल के लिए मंजूरी देकर यह सुनिश्चित कर दिया गया है कि इन मलिन बस्तियों को अगले 3 साल तक नहीं उजाड़ा जाएगा।
2021 में लाये गए अध्यादेश की समय सीमा आज 23 अक्टूबर को समाप्त हो रही थी। कैबिनेट की मंजूरी के बाद आज ही सरकार इस फैसले पर राजभवन की स्वीकृति लेकर उसे 3 साल आगे तक बढ़ा देगी। लेकिन इसके साथ ही यह भी सवाल है कि आखिर सरकार कब तक यह अध्यादेशकृअध्यादेश का खेल जारी रख सकती है और कब इन मलिन बस्तियों के नियमितीकरण या उनके पुनर्वास की योजना को अमली जामा पहनाकर इसका स्थाई हल कर सकेगी।
आज की कैबिनेट बैठक में लिए गए अन्य महत्वपूर्ण फसलों में वीरता पुरस्कार, अशोक चक्र, महावीर चक्र तथा शौर्य चक्र प्राप्त करने वाले सैनिकों के परिजनों को रोडवेज की बसों में मुफ्त यात्रा सुविधा देने तथा मुख्यमंत्री निशुल्क रसोई गैस सिलेंडर रिफिल योजना को आगामी 3 साल तक जारी रखने का फैसला भी लिया गया है।
एक अन्य फैसला लेते हुए कैबिनेट ने विकासनगर में सिविल न्यायालय में वकीलों के चैंबर निर्माण के लिए 318 गज वर्ग जमीन उपलब्ध कराने को भी मंजूरी दे दी है।
वही चमोली, पिथौरागढ़ और उत्तरकाशी के लिए 5 करोड़ का रिवाल्विंग फंड देने तथा हरिद्वार में हेलीपोर्ट बनाने को भी स्वीकृति दे दी गई है इसके अलावा भी आज कैबिनेट में अनेक फैसले लिए गए हैं।