भू कानून के विरुद्ध मोहन काला ने जगाई अलख
श्रीनगर में निकाली जनसंपर्क यात्रा, पुलिस ने कोरोना का बहाना बना कर रोका
श्रीनगर। देहरादून और हल्द्वानी में उत्तराखंड क्रांति दल बेशक पूर्ववर्ती त्रिवेंद्र सरकार के कार्यकाल में लागू राज्य विरोधी भू कानून के विरुद्ध हुंकार नहीं भर पाया हो लेकिन गढ़वाल के शैक्षणिक केंद्र श्रीनगर में उक्रांद के कोषाध्यक्ष व उद्योगपति मोहन काला ने बिगुल फूंक दिया है। भू कानून जैसे संवेदनशील मसले की गंभीरता को लोग शिद्दत से समझने लगे हैं, मोहन काला के अभियान के साथ लोगों के जुड़ने से यह बात साफ भी हो गई है। यह अलग बात है कि सरकारी तंत्र उनके आंदोलन की धार को कम करने के लिए कोविड का बहाना बना कर नियंत्रित करने की कोशिश कर रहा है लेकिन मोहन काला और उनके साथ जुड़ रहे लोगों के जज्बे को देख कर लगता है कि राज्य के मौजूदा भू कानून को खत्म करने का श्रेय श्रीनगर के लोगों को मिल सकता है।
गौरतलब है कि मोहन काला इन दिनों मौजूदा भू कानून के विरुद्ध जनजागरुकता उत्पन्न करने के लिए जनसंपर्क अभियान चलाए हुए हैं। इसी अभियान के तहत वे श्रीनगर के तहत श्रीकोट, गंगानाली, मेडिकल कॉलेज के गेट से कुछ कार्यकर्ताओं के साथ करोना गाइडलाइन का पालन करते हुए शांतिपूर्ण अभियान चला रहे थे लेकिन पुलिस ने बड़ी अभद्रता से उनका अभियान रोक दिया। यहां उल्लेख करना उचित होगा कि प्रदेश में मंत्रियों और मुख्यमंत्री के दौरे में इस तरह की कोई बंदिश नहीं है लेकिन जनता के भविष्य को सुरक्षित करने की लड़ाई लड़ने वाले लोगों को कोविड के बहाने रोका जा रहा है। इससे एक परिभाषा यह स्थापित हो रही है कि सत्तारूढ़ दल के नेताओं के जमावड़े से कोरोना नहीं फैलता बल्कि कोरोना जनता के हित की लड़ाई लड़ने वालों के संघर्ष से फैलता है।
बहरहाल उक्रांद के इस संपर्क अभियान में श्री कला द्वारा चलाए जा रहे मुद्दों जिनमें भू-कानून, शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य लोगों को जागरूक करने की मुहिम तेज हो गई है। यह एक तरह से उसी तरह आग धधकती दिखने लगी है, जिस तरह 70 के दशक में विश्वविद्यालय के लिए आंदोलन चला था। उस दौर के लोग इस अभियान को उसी के समकक्ष देख रहे हैं।
मोहन काला ने दो टूक कहा है कि इन सभी मुद्दों के साथ मूल निवास 1950 कानून को लागू कराने के संघर्ष को निर्णायक स्थिति तक पहुंचाएंगे ताकि प्रदेश की भावी पीढ़ी का भविष्य सुरक्षित हो सके। वर्ना यहां के लोग जिन लोगों के हाथों अपनी जमीन गंवाने जा रहे हैं, उनके नौकर बन कर रह जायेंगे और उसके बाद रोने के सिवा कोई चारा नहीं रहेगा।
श्री काला ने जनता का आह्वान किया है कि यदि यूकेडी की सरकार सत्ता में आती है तो सभी मुद्दों को तुरंत प्रभाव से लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इन मुद्दों पर जनता का भरपूर समर्थन उत्तराखंड क्रांति दल को मिल रहा है और जल्द ही प्रदेश के दूसरे हिस्सों में भी यह अभियान शुरू हो जाएगा।
बताते चलें कि मोहन काला के इस जनसंपर्क कार्यक्रम के लिए प्रशासन से अनुमति मांगी गई थी और उन्हें यह अनुमति दी भी गई। लेकिन पुलिस ने एन मौके पर उन्हें रोक दिया। ध्यान रहे इस शहर में पहले भी अन्य दलों द्वारा मोटरसाइकिल रैली व अन्य कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है, जो कि यह दर्शाता है कि प्रशासन द्वारा जानबूझकर मोहन काला की जनसंपर्क यात्रा को बाधित किया गया। मोहन काला ने प्रशासन के इस कृत्य को सरासर गलत बताते हुए कहा है कि इस प्रकार का व्यवहार शासन व प्रशासन द्वारा क्षेत्रीय दल के प्रति सही नहीं है। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय दल का भी मौलिक अधिकार है कि वह भी अपनी बात जनता के सामने रखे। उनका कहना है कि शासन प्रशासन को इस प्रकार का व्यवहार क्षेत्रीय पार्टी के साथ नहीं करना चाहिए और अन्य दिनों की भांति क्षेत्रीय दल को भी कार्य करने का मौका देना चाहिए। श्री काला जी ने बड़े ही शांतिपूर्ण ढंग से करोना के नियमों का पालन करते हुए जनसंपर्क अभियान का समापन अपने कार्यालय घसिया महादेव में किया। उन्होंने जनसंपर्क में भाग लेने आए सभी बुजुर्गों, युवा व युवतियों, महिलाओं का धन्यवाद किया। इस जनसंपर्क कार्यक्रम में अंजना घिल्डियाल, नितिन नेगी, जेपी काला, अनूप सिंह बिष्ट, गौरव सिलोरी, विकी भंडारी, उपासना भट्ट, मुकेश राणा, दुर्गेश, प्रिया ठकर, दीपक कंडारी, आलोक नवानी, सुनील रावत, सुनील बारगी, विनोद शैली, दीपक भंडारी, आयुष मियां आदि मौजूद थे।