ऋषिकेश। चीनी फौज से लगातार 72 घंटे अकेले ही लोहा लेने वाले महावीर चक्र विजेता राइफलमैन जसवंत सिंह रावत को गढ़वाल महासभा ने श्रद्धांजलि अर्पित कर नमन किया। अंतरराष्ट्रीय गढ़वाल महासभा ने श्यामपुर खेरीखुर्द स्तिथ कार्यालय में महावीर चक्र विजेता राइफलमैन जसवंत सिंह रावत की जयंती पर उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर नमन किया गया। महासभा के अध्यक्ष डॉ राजे नेगी ने कहा कि शरीर तो मिट जाता है, पर जज्बा हमेशा जिंदा रहता है। यह उक्ति वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध में 72 घंटे तक अकेले चीन फौज से लड़ने वाले महावीर चक्र (मरणोपरांत) विजेता राइफलमैन जसवंत सिंह रावत पर सटीक बैठती है। भारतीय सेना इस जांबाज को ‘बाबा जसंवत’ के नाम से सम्मान देती है। जिस पोस्ट पर बाबा जसवंत सिंह रावत शहीद हुए थे, भारत सरकार ने उसे ‘जसवंत गढ़’ नाम दिया है। उनकी याद में गढ़वाल राइफल्स रेजीमेंट के मुख्यालय लैंसडौन में भी जसवंत द्वार बनाया गया है। राइफलमैन जसवंत सिंह रावत को शहीद हुए भले ही 59 वर्ष गुजर चुके हों, लेकिन भारतीय फौज का विास है कि उनकी आत्मा आज भी देश की रक्षा के लिए सक्रिय है। वह सीमा पर सेना की निगरानी करती है और डय़ूटी में जरा भी ढील होने पर जवानों को चौकन्ना कर देती है। सेना ने जसवंत सिंह की स्मृति में अरुणाचल प्रदेश की नूरानांग पोस्ट पर एक स्मारक का निर्माण किया है। जो जवानों के लिए किसी तीर्थस्थल से कम नहीं है। यह वही पोस्ट है, जहां जसवंत सिंह ने शहादत दी थी। इस मौके पर राहुल मनकोटी, मुकुल उपाध्यक्ष, विक्रांत भारद्वाज, हिमांशु नेगी, नरेंद्र कठैत, साहिल राणा, रमेश तिवारी, रूपेंद्र राणा, सचिन रावे, नीरज कश्यप, पंकज गुसाईं उपस्थित रहे।