लॉकडाउन से किसानों को फसल का उचित दाम नहीं मिल रहा
नैनीताल। देशभर में लागू लॉकडाउन के बीच किसान दोहरी मार से जूझ रहे हैं। एक तरफ लॉकडाउन की वजह से बाहर निकलना मुश्किल हो रहा है, वहीं दूसरी ओर मौसम की मार उन्हें परेशान कर रही है। जिले के पहाड़ी हिस्सों में हुई ओलावृष्टि के कारण फसल खराब होने से किसानों में चिंता छाने लगी है। मार्च 22 के बाद लॉकडाउन होने से किसानों को फसल का उचित दाम नहीं मिल रहा था, जिसके चलते किसानों को औने-पौने दाम पर अपनी फसल को बेचना पड़ रहा था। अब एक बार फिर ओले पड़ने से पहाड़ी इलाकों में फसल को नुकसान हुआ है।
ओलावृष्टि से ओखलकांड़ा व धारी में किसानों को भारी नुकसान की आशंका है। किसान सुरेश बिष्ट के अनुसार ओला गिरने से ग्राम सभा थलाड़ी, क्वैदल में किसानों की आलू की फसल के साथ फलों को भी भारी नुकसान हुआ है। तेज ओले गिरने से आड़ू, पुलम, सेब, खुबानी, माल्टे के पेड़ों पर लगे फूल गिर गए हैं। इसका सीधा असर इस बार इन फलों की खती पर पड़ेगा। सुरेश बिष्ट कहते हंैं कि किसानों ने लॉकडाउन के बाद महंगा बीज लेकर बुआई की थी, मगर आलू, टमाटर, शिमला मिर्च, फूलगोभी, बीन की क्यारियां भी ओले से चैपट हो गई हैं। इस साल 10 मार्च तक किसानों को मौसम ने परेशान किया, जिसके बाद जब कुछ फसल हुई भी तो लॉकडाउन ने उनकी कमर तोड़ दी। फसल न बिकने और मंडी तक सब्जी न ले जाने का इंतजाम नहीं हो पाने से खेत में ही फसल खराब होने लगी। इसके बाद किसानों ने औने-पौने दाम पर किसी तरह फसल बेच दी। बजून के किसान गोविन्द सिंह राणा कहते हैं कि मौसम और लॉकडाउन से खेती चैपट हो गई है, जिससे उबरने के लिए साल भर से ज्यादा का वक्त लग जाएगा। गोविन्द सिंह राणा कहते हैं कि अभी तक 70 प्रतिशत फसल का नुकसान हो गया है और आगे भी ऐसी ही आशंका है, क्योंकि नई फसल बोने के लिए न तो बीज मिल रहा है और न ही खाद। इसकी वजह से आने वाली फसल भी प्रभावित हो रही है। खेती पर पड़ी मार से इस बार किसान को काफी नुकसान हुआ है। किसान व खुर्पताल के पूर्व प्रधान मनमोहन कनवाल ने सरकार से उनको मुआवजा देने की मांग की है। क्योंकि लॉकडाउन और मौसम बिगड़ने का सीधा असर खेती पर पड़ा है।