जनरल विपिन रावत की कुछ यादेंः गांव आते तो गढ़वाली में बात करते थे
पौड़ी/देहरादून। उत्तराखंड के ज़िला पौड़ी गढ़वाल में द्वारीखाल ब्लॉक के अंतर्गत जनरल बिपिन रावत का गांव सैण स्थित है। जनरल बिपिन रावत भले ही अब इस दुनिया में नहीं रहे, लेकिन उनके गांव के लोग भारत के प्रथम सीडीएस को याद कर काफ़ी दुखी हैं। अधिकांश लोग जनरल बिपिन रावत के सरल स्वभाव से काफ़ी प्रभावित दिखते हैं।
ग्रामीण योगेंद्र कुमार कहते हैं कि इतने बड़े पद पर आसीन होने के बाद जनरल बी पी रावत का गांव में आना काफ़ी कम रहता था, लेकिन वह जब कभी भी गांव में आते तो गढ़वाली भाषा में ही अपने लोगों से बात किया करते थे। स्थानीय निवासी योगेंद्र सिंह कहते हैं कि लॉक द्वारीखाल से सैण की दूरी लगभग 13 किलोमीटर है। यहां मदनपुर धुल गांव तक सड़क बनी हुई है, लेकिन यहां से क़रीब डेढ़ से दो किलोमीटर दूरी पर ही गांव सैण तक पक्का मार्ग नहीं है।
जनरल बिपिन रावत के पैतृक गांव निवासी संजय तोमर कहते हैं कि देखिए मदनपुर धुलगांव और सैण के बीच पक्का मार्ग नहीं बना हुआ है। इस मार्ग निर्माण के पक्का बनने की चाह जनरल बिपिन रावत रखते थे। लगभग एक हफ़्ते पहले जनरल बिपिन रावत के भाई सुरेंद्र रावत, जो मर्चेंट नेवी से रिटायर हैं। मुंबई से यहां पहुंचे थे। अधिकारियों से मिले थे और मार्ग निर्माण की मांग की थी। जनरल बिपिन रावत भी रिटायरमेंट के बाद यहां रहना चाहते थे। गांव में फ़िलहाल जनरल बिपिन रावत के चाचा भरत रावत अपनी पत्नी सुशीला देवी के साथ रहते हैं। वह भी आर्मी से रिटायर हैं. जनरल बिपिन की मौत के बाद वह दिल्ली गए हैं।
फोटो-अपने पिता के साथ जनरल विपिन रावत की यादगार तस्वीर