गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए तकनीक का प्रयोग जरूरी : पांडेय
देहरादून।शिक्षामंत्री अरविन्द पाण्डेय ने महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा की ओर से विकसित ‘दक्ष’ डैशबोर्ड का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर उन्होने कहा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए तकनीकि का प्रयोग आवश्यक है और डैश बोर्ड इस दिशा में उठाया गया एक सार्थक कदम है। उन्होंने कहा कि डैस बोर्ड के माध्यम से किए जाने वाले प्रयास इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि आज का समय टेक्नोलाॅजी का समय है। जब तक हम अपने विभागों में टेक्नोलौजी का प्रयोग नहीं करेंगे तब तक हम विभाग की कमियों को दूर नहीं कर सकते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि डैश बोर्ड में समुदाय को जोड़ा जाय। उन्होंने दक्ष डैशबोर्ड विकसित करने को लेकर विभागीय अधिकारियों और कर्मियों को बधाई देते हुए कहा कि इस तरह के टेक्नोलोजी से जुड़े कार्यक्रमों को शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ावा दिये जाने की आवश्यकता है।
महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा बंशीधर तिवारी ने कहा कि दक्ष डैशबोर्ड मासिक परीक्षा के आधार पर छात्र प्रगति को केन्द्र में रखकर विभिन्न पहलुओं के दृष्टिगत परिणामों का विश्लेषण करता है। यह शिक्षकों तथा विभागीय अधिकारियों की पठन-पाठन हेतु छात्र/छात्राओं की प्रगति के लिए जवाबदेही सुनिश्चित करता है।
निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण राकेश कुँवर ने कहा कि यह अभिनव प्रयास शिक्षा के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा आगे भी इस तरह के अभिनव प्रयोग किये जाते रहेंगे।
इस अवसर पर इस डैसबोर्ड के विकास में अहम भूमिका निभाने वाले डाॅ अंकित जोशी ने पाॅवर प्वाॅइंण्ट प्रस्तुतीकरण के माध्यम से इस डैशबोर्ड की बारीकीयों से परिचित कराया। उन्होंने अपने प्रस्तुतीकरण में बताया कि यह साॅफ्टवेयर जहाँ एक ओर विद्यार्थियों और शिक्षकों की मासिक परीक्षा के परिणामों का लेखा-जोखा प्रस्तुत करते हुए विद्यार्थियों की प्रगति का आकलन करता है वहीं यह विकासखण्ड तथा जिला स्तर के अधिकारियों की प्रगति का आकलन करने में भी सक्षम है। डाॅ. अंकित जोशी ने बताया कि यह साॅफ्टवेयर आगे और विकसित किया जा रहा है। अगले चरण में इसके माध्यम से प्रत्येक विद्यार्थी की शैक्षिक प्रगति का विषयवार आकलन किया जा सकेगा।
इस अवसर पर एमआईएस के मुकेश बहुगुणा ने विद्यालयी शिक्षा पोर्टल के बारे में भी जानकारी दी।
एनआईसी के सहयोग से विकसित इस साॅफ्टवेयर के विकास में महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा बंशीधर तिवारी, अपर निदेशक बन्दना गब्र्याल, एनआईसी के वरिष्ठ तकनीकी निदेशक तथा सीनियर सिस्टम एनलिस्ट पुष्पांजलि एवं मुकेश बहुगुणा आदि थे।
इस अवसर पर निदेशक प्रारंभिक शिक्षा राम कृष्ण उनियाल, अपर निदेशक माध्यमिक शिक्षा एवं प्रारंभिक शिक्षा एस.पी. खाली, अपर निदेशक एस.सी. ई.आर.टी. आर.डी. शर्मा, संयुक्त निदेशक एस.बी. जोशी आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन एससीईआरटी के डाॅ. नन्द किशोर हटवाल ने किया।
*क्या है दक्ष डैश बोर्ड*
• दक्ष डैशबोर्ड मासिक परीक्षा के आधार पर छात्र प्रगति को केन्द्र में रखकर विभिन्न पहलुओं के दृष्टिगत परिणामों का विश्लेषण कर परिणाम जारी करता है। यह शिक्षकों तथा विभागीय अधिकारियों की पठन-पाठन हेतु छात्र/छात्राओं की प्रगति के लिए जवाबदेही सुनिश्चित करता है।
• मासिक परीक्षा के शासनादेशानुसार, मासिक परीक्षा समस्त राजकीय तथा अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों में कक्षा 3 से कक्षा 12 तक आयोजित की जाती है।
• गुणवत्ता सर्वेक्षण हेतु राज्य स्तर से प्रत्येक माह विकासखण्डवार 07 विद्यालयों (कुल = 95 गुना 7 = 665) का यादृच्छिक चयन किया जाता है।
• इन 07 विद्यालयों को ’गुणवत्ता सर्वेक्षण हेतु चयनित विद्यालय‘ कहा जाता है।
• ’गुणवत्ता सर्वेक्षण हेतु चयनित विद्यालयों‘ में डायट्स के दिशा-निर्देशन में विषय विशेषज्ञों द्वारा विषयवार उत्कृष्टता केन्द्र के आधार पर विषयवार ’सीखने के प्रतिफल आधारित प्रष्नपत्र तैयार कर सभी चयनित विद्यालयों को राज्य स्तर से भेजा जाता है।
• गुणवत्ता सर्वेक्षण हेतु चयनित विद्यालय सहित सभी विद्यालयों के प्रष्नपत्रों का निर्माण एससीईआरटी द्वारा विकसित ब्लूप्रिन्ट एवं मासिक पाठ्यक्रम विभाजन के आधार पर किया जाता है।
• महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा द्वारा एनआईसी उत्तराखण्ड के सहयोग से दक्ष डैषबोर्ड का विकास किया गया है।
*दक्ष डैशबोर्ड की प्रमुख विषेषताएं*
• यह एक व्यापक आकलन विश्लेषण साॅफ्टवेयर है।
• यह छात्रों के ’सीखने के प्रतिफल’ का आॅनलाइन लक्ष्यानुसरण करता है, जैसा कि नवीन राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सिफारिश भी है।
• छात्रों की मासिक प्रगति के आधार पर शिक्षकों एवं विभागीय अधिकारियों की प्रगति भी दर्शाता है।
• शिक्षकों के प्रशिक्षण हेतु प्रषिक्षण आवश्यकताओं का आॅनलाइन चिह्नांकन करता है।
• मासिक आकलन के आधार पर ऐसे शिक्षकों का चिह्नांकन करता है जिन्हे प्रशिक्षण की आवश्यकता है।
• मासिक आकलन के आधार पर ऐसे शिक्षकों का चिह्नांकन करता है जिन्होंन छात्र प्रगति में बेहतर परिणाम दिये है तथा जिन्हें सन्दर्भदाता बनाया जा सकता है।