नंबर गेम के ज्यादा मोहपाश से बचें
उत्तराखंड के साथ ही विभिन्न स्कूल बोर्ड का परीक्षा परिणाम आ गया है सबसे ज्यादा नंबर उसके बाद के कुछ नंबर पाने वाले बच्चों को बधाई। औरअंत मे नंबर गेम तक न पहुच सकने वाले बच्चों को ये संदेश की यह परीक्षा अंतिम परीक्षा नहीं है।
सचिन तेंदुलकर, धीरूभाई अंबानी, हेनरी फोर्ड, कार कंपनी का मालिक, करसन भाई पटेल,निरमा के मालिक, संसार में ऐसी कई अनगिनत उदाहरण है जिनकी शिक्षा -दीक्षा बहुत कम हुई या वह स्कूली शिक्षा में कभी भी 98% नहीं ला पाए। मगर वास्तविक जीवन मे सफल हुए।
आप यह प्रण कर ले और संसार में अपने लक्ष्य को हुनर से प्राप्त करने के लिए तैयार हो जाइए और नंबर गेम को छोड़िए। माता-पिता,चिर-परिचितों, अभिभावकों से भी निवेदन है कभी भी अपने बच्चे का मनोबल गिराने की कोशिश ना करें। आपका पाल्य संसार में सबसे अलौकिक है कुछ न कुछ गुण उसमें अच्छे हैं। तस्वीर के स्याह पक्ष के साथ रोशनी वाले हिस्से को देखने की जरूरत है।वह दूसरे में नहीं हो सकते उन्हीं अच्छे गुणों को समझ कर जीवन में लक्ष्य बनाकर आगे चलें।
यही वक्त है जब बच्चो को अपने शिक्षक की सबसे अधिक जरूरत है। विशेषकर उन विद्यार्थियों को जो किसी कारण से उत्तीर्ण परीक्षा की रेखा के इस पार रह गए हैं और असफल हो गए हैं। इस समय वे स्वतः तनाव में रहते हुए अभिभावकों के कोपभाजन व क्रोध का दबाव भी सह रहे हैं। आप सभी का संपर्क,बातचीत, हौसलाअफजाई उन्हें हौसला दे सकता है । कुछ पल की बात है फिर वे खुद को संभाल लेंगे। सभी से निवेदन इस समय सफल को बधाई व असफल को विशेष वार्ता कर गुरु के ज्ञान का प्रकाश प्रदान करें ताकि बच्चा अंधेरे में गुम न होने पाए। सफल बच्चों को अब भविष्य की नई इबारत लिखने के लिए तैयार रहना होगा। ये अर्जित अंक आपको आगे का मार्ग प्रशस्त्र कर सके, इसिलए अपनी मेहनत व मार्गदर्शन से ऐसा मुकाम भी हासिल करना होगा।
प्रेम प्रकाश उपाध्याय ‘नेचुरल’ पिथोरागढ़
(लेखक शिक्षा,शोध से जुड़े है)