आय से अधिक संपत्ति के मामले में विजिलेंस के पड़ चुके हैं छापे
देहरादून। राजनीतिक संरक्षण के चलते पहले उत्तर प्रदेश ओैर उसके बाद उत्तराखंड में आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने वाले आईएएस अधिकारी राम विलास यादव हाईकोर्ट की शरण में पहुंच गये। आय से अधिक संपत्ति मामले में विजिलेंस के निशाने पर आये रामविलास यादव को आशंका है कि सेवानिवृत्त होने से पहले उनकी गिरफ्तारी हो सकती है।
उत्तर प्रदेश में सेवा के दौरान लखनऊ विकास प्राधिकरण में रहते हुए राम विलास यादव पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोप हैं। यहीं नहीं उत्तराखंड में रहते हुए समाज कल्याण विभाग में अरबों रुपये का घोटाला सामने आ चुका है। राम बिलास यादव लंबे समय तक इस विभाग में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। विजिलेंस के छापों के बाद माना जा रहा है कि आईएएस अफसर राम विलास यादव पर गिरफ्तारी की तलवार तो लटक ही रही है, साथ में सरकार के द्वारा निलंबन जैसी कार्रवाई होने की बात कही जा रही है। बताया जा रहा है कि सीएम पुष्कर सिंह धामी के कड़े रुख के चलते रामविलास को इस समय नौकरशाही और राजनीतिक स्तर पर संरक्षण देने वाले भी हाथ खींच चुके हैं। इसको देखते हुए राम विलास ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करके कहा है कि वह जांच में सहयोग करेगा पर उसकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी जाए।
विजिलेंस में दर्ज एक एफआईआर के अनुसार यादव ने यूपी में रहते बेहिसाब संपत्ति अर्जित की। छापों में भी साफ हुआ कि उनके पास तमाम तरह से अरबों की संपत्ति है। इस अधिकारी ने पहले यूपी और उत्तराखंड में एक तरह से सियासी संरक्षण में किया गया। रामविलास को अपनी गिरफ्तारी का खतरा सता रहा है। यही कारण है कि 30 जून को रिटायर होने जा रहे इस आईएएस अफसर ने नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। इस याचिका में इस अफसर ने कहा कि वह किसी भी तरह की जांच में सहयोग को तैयार है, लेकिन उसकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी जाए।
सूत्रों ने बताया कि आईएएस रामविलास की इस याचिका पर नैनीताल हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति मनोज तिवारी की बेंच में सुनवाई होनी है। यह बेंच मंगलवार या बुधवार को इस मामले की सुनवाई करेगी। हाईकोर्ट के रुख के बाद ही रामविलास यादव का भविष्य तय होगा। उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड में पटवारी भर्ती घोटाले में एक आईएएस अधिकारी की सेवाएं रिटायरमेंट से ठीक पहले समाप्त की जा चुकी हैं।