देहरादून। उत्तराखंड के जिला सहकारी एवं राज्य सहकारी बैंक अब 75 लाख रुपये का होम लोन दे सकेंगे।भारतीय रिजर्व बैंक ने उत्तराखंड राज्य सहकारी समितियों के निबंधक को यह अनुमति दी है कि लोग सहकारी बैंकों से 20 लाख की जगह 50 लाख, 30 लाख की जगह 75 लाख रुपए आवास के लिए ऋण ले सकते हैं। पहले आवास के लिए डीसीबी से 20 लाख और एससीबी से 30 लाख की ऋण लेने की अधिकतम सीमा थी। ऋण लेने की सीमा बढ़ाने से हजारों लोगों को लाभ होगा। जिला सहकारी बैंकों में सैकड़ों ऐसी फाइलें हैं जो 20 लाख से अधिक का आवास ऋण देना चाहते हैं।
उत्तराखंड के रजिस्ट्रार कोऑपरेटिव आलोक कुमार पांडेय ने बताया कि सहकारी बैंक गृह निर्माण योजना प्रदेश में सहकारी बैकों के ऋण व्यवसाय को बढ़ाये जाने की संभावनाओं के चलते सहकारी बैंकों की ऋण सीमा को भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा लम्बे अन्तराल के पश्चात सहकारी बैंकों की आवश्यकताओ को ष्टिगत रखते हुए रिजर्व बैंक ने विगत आठ जून को व्यक्तिगत आवास ऋण सीमा में सहकारी बैकों की नेटवर्थ के आधार पर जिन बैंकों की नेटवर्थ 100 करोड़ से कम है, उन्हें पूर्व में मंजूर ऋण 20 लाख के स्थान पर संशोधित कर 50 लाख एवं जिन डीसीबी की नेटवर्थ 100 करोड़ से अधिक है, उन्हें पूर्व में स्वीत ऋण 30 लाख के स्थान पर संशोधित कर 75 लाख कर दिया गया है।
निबंधक पांडेय ने बताया कि, भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के क्रम में जिला सहकारी बैंकों के लिए निबन्धक, सहकारी समितियों उत्तराखण्ड देहरादून की ओर से परिपत्र जारी कर दिया गया है।
पांडेय ने बताया कि, सहकारी बैंकों के लिए लागू इस योजना से ऋण व्यवसाय ,बैंकों की लाभप्रदत्ता में वृद्धि होने के साथ ही अन्य विभागों के वेतनभोगी अधिकारी ध् कर्मचारी सहकारी बैंकों की ऋण सीमा बढ़ने से उनके द्वारा अपने खाते अन्य राष्ट्रीयत बैकों में हस्तान्तरित नहीं किये जायेगे, जिससे सहकारी बैंकों को ब्याज स्वरूप मिलने वाली धनराशि में बढोत्तरी होगी।
अपर निबन्धक कोऑपरेटिव (बैंकिंग ) इरा उप्रेती ने बताया कि यह योजना सहकारिता से जुड़े समस्त खाताधारकों के लिये भी अत्यन्त लाभप्रद हैं, क्योंकि पूर्व में सहकारी गृह निर्माण योजना के तहत स्वीत की जाने वाली धनराशि जिला सहकारी बैंकों हेतु मात्र 20 लाख एवं राज्य सहकारी बैक 30 लाख थी, जो मंहगाई के ष्टिगत कम थी। नतीजतन सहकारी बैंकों से आवास हेतु ऋण लेने में खाताधारक रुचि नहीं रखते थे, परन्तु उक्त योजना के तहत सहकारी गृह निर्माण योजना ऋण सीमा बढ़ाये जाने से सहकारी बैंकों का न केवल व्यवसाय को बढ़ेगा बल्कि वे राष्ट्रीयकृत बैकों केसाथ प्रतिस्पर्धा में बने रहेंगे।