चयन आयोग की छिछालेदर के बाद एस. राजू ने दिया इस्तीफा
सही तरीके से जांच हुई तो कई सफेदपोश भी आ सकते हैं लपेटे में
देहरादून। भर्तियों में सामने आये घोटाले के बाद अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की जो छिछालेदर हुई, उसने आयोग के अध्यक्ष एस. राजू ने अपने पद से इस्तीफा देने को विवश कर दिया। पूर्व ब्यूरोक्रेट राजू के कार्यकाल में हुई भर्तियों में से बहुत सारे पर सवाल उठते रहे हैं। राजू ने अब तक पकड़े गये लोगों को छोटी मछली बताया है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि भर्ती का यह घोटाला मामूली नहीं है और सही और निष्पक्ष जांच हुई तो कई सफेदपोश भी इसकी चपेट में आ सकते हैं।
आयोग के हवाई अड्डा रोड स्थित कार्यालय में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में राजू ने स्वीकारा कि आयोग में सेंधमारी हुई है। उन्होंने कहा कि जो लोग पकड़े गये हैं वे छोटी मछली हैं, मगर कुछ सफेदपोश भी लपेटे में आएंगे। उन्होंने कहा कि परीक्षा देने वाले अभ्यर्थियों को जो भी दिक्कत हुई है, उससे वे आहत हैं, लेकिन अभी तक किसी भी अधिकारी व कर्मचारी पर कोई आरोप नहीं लगा यह उनके लिए संतोष की बात है। राजू ने कहा कि वे इस समूचे प्रकरण से आहत होकर अपना पद छोड़ रहे हैं। राजू ने बताया कि उनका कार्यकाल सितंबर तक था, लेकिन वे आहत होकर पद छोड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि आयोग ने अब तक 88 परीक्षाएं करायी, लेकिन सिर्फ दो में ही धांधली की बात सामने आयी। उन्होंने कहा कि फारेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा में भी आयोग ने जांच बिठाई थी और अब स्तातक स्तरीय परीक्षा में गड़बड़ी की बात पता चली तो आयोग ही इस मामले को सरकार के सामने लाया।
उल्लेखनीय है आयोग द्वारा दो साल पहले की गयी फारेस्टे गार्ड भर्ती में पेपर बिकने का मामला सामने आया है। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए सीएम पुष्कर सिंह धामी ने एसआईटी जांच बिठा दी है और उसके बाद परीक्षा में गड़बड़ी करने वाले बड़े रैकेट का भांडा फूटा है। वीडीओ व बीपीडीओ पेपर में भी भारी गड़बड़ी हुई थी। आयोग की परीक्षा के पेपर लीक मामले में एसटीएफ ने एक दर्जन से अधिक लोगों की गिरफ्तारी की है। और अभी कई लोगों के और गिरफ्तार होने की संभावना जताई जा रही है, एक जिला पंचायत सदस्य थाइलैंड जाने के कारण अभी पकड़ में नहीं आ सका है। बहरहाल परीक्षाओं में गड़बड़ी सामने आने से आयोग की साख पर बट्टा तो लग ही गया है। इसको देखते हुए पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत आयोग को भंग करने की बात कह चुके हैं।
भर्ती में गड़बड़ी और आयोग का चोली दामन का साथ रहा। आयोग द्वारा की गयी पहली ही भर्ती ग्राम विकास अधिकारी की हुई थी। इसमें कई सगे भाईयों व रिश्तेदारों के अलग-अलग जिलों में टाप मेरिट में दिखाया गया था। इसके बाद जब जांच हुइ और परीक्षा दोबारा हुई तो ऐसे कई टापर परीक्षा में पास होने वाले न्यूनतम अंक भी अर्जित नहीं कर पाये थे। इसके चलते आयोग के तत्कालीन व पहले अध्यक्ष डा. आरबीएस रावत ने इस्तीफा दे दिया था। रावत भारतीय वन सेवा के शीर्ष स्तर के अधिकारी थे। अब 1984 बैच के आईएएस एस. राजू को भी विवादों के बीच ही अपना पद छोड़ना पड़ा है।