आयुष्मान योजना में दो अक्टूबर से लागू होगी नई व्यवस्था
लाभार्थी मरीज के निशुल्क उपचार के सत्यापन के बाद ही अस्पताल को होगा क्लेम का भुगतान
देहरादून। आयुष्मान योजना में मरीज को मिलने वाले निशुल्क उपचार के सत्यापन के बाद ही संबंधित अस्पताल को क्लेम का भुगतान होगा। राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण द्वारा यह निर्णय लिया गया है। आयुष्मान योजना को राज्य में संचालित हुए चार साल पूरे हो गए हैं। इस अवधि में पांच लाख 75 हजार से अधिक मरीजों का इलाज आयुष्मान योजना के अंतर्गत हो चुका है। कुछ लाभार्थियों द्वारा समय-समय पर यह शिकायत की गई है कि योजना में सूचीबद्ध चिकित्सालयों द्वारा उन्हें पूर्णतया: निशुल्क उपचार का लाभ नहीं दिया गया और उसने धनराशि ली गई। जो कि आयुष्मान योजना की गाइडलाइन व चिकित्सालय के साथ हुए अनुबंध के विरुद्ध है। ऐसे कई मामलों में प्राधिकरण द्वारा संबंधित लाभार्थियों से ली गई धनराशि को चिकित्सालय से वापस भी कराया गया।
पिछले दिनों आयोजित आरोग्य मंथन कार्यक्रम में शिरकत करने के दौरान स्वास्थ्य मंत्री डा. धन सिंह रावत ने भी आयुष्मान योजना के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु ठोस कदम उठाने के निर्देश विभागीय अधिकारियों को दिए थे। जिसमें कहा गया था कि दो अक्टूबर से मरीज से सत्यापन प्रमाण पत्र (इलाज पर आए खर्च के बिलों पर हस्ताक्षर) लेने के बाद ही अस्पतालों को क्लेम का भुगतान किया जाए। इसके बाद प्राधिकरण ने इस संर्दभ में सभी सूचीबद्ध अस्पतालों को निर्देश जारी किए हैं। जिसमें कहा गया है कि चिकित्सालयों द्वारा लाभार्थी के उपचारोपरांत क्लेम प्रस्तुत करते समय लाभार्थी का सत्यापन प्रपत्र व चिकित्सालय का प्रमाण-पत्र दाखिल किया जाना अनिवार्य है।
सत्यापन प्रपत्र में लाभार्थी द्वारा यह सत्यापित किया जाएगा कि चिकित्सालय द्वारा योजना के अंतर्गत निशुल्क उपचार किया गया है। चिकित्सालय द्वारा उपचार हेतु कोई धनराशी नहीं ली गई है। अस्पताल द्वारा बाहर से भी कोई दवाई अथवा उपचार संबंधी अन्य सामान लाभार्थी से नहीं मंगाई गई है। इस सत्यापन प्रपत्र में लाभार्थी यह भी बताएगा कि उसे उपचार से संबंधित सभी दस्तावेज यानी डिस्चार्ज समरी, जांच-परीक्षण की रिपोर्टस, उपचार का बिल जो क्लेम हेतु दाखिल किया गया है आदि चिकित्सालय द्वारा उपलब्ध करा दिया गया है। साथ ही लाभार्थी यह भी प्रमाणित करेगा कि यह प्रपत्र उसके द्वारा स्वयं अथवा परिवार के सदस्य द्वारा भरा गया है, चिकित्सालय के किसी स्टाफ द्वारा नहीं। इसके अलावा चिकित्सालय द्वारा भी प्रमाण-पत्र दिया जाएगा कि योजना के अंतर्गत मरीज का पूर्णत: निशुल्क इलाज किया गया है और उपचार से संबंधित सभी दस्तावेज मरीज को उपलब्ध करा दिए गए हैं। यह भी प्रमाण पत्र देना होगा कि डिस्चार्ज के बाद मरीज को आवश्यकतानुसार 15 दिन की अवधि की दवाईयां निशुल्क उपलब्ध करा दी गई है। लाभार्थी के उपचार पर कितना खर्च आया और अब योजना के अंतर्गत पांच लाख के वॉलेट में कितनी धनराशि शेष है का प्रमाण पत्र भी अस्पताल को देना होगा। ये सभी नई व्यवस्थाएं दो अक्टूबर से लागू होंगी।