एनपीसीसी के मुख्य प्रबंध निदेशक पर दर्ज होगा केस
देहरादून। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने कार्यदायी संस्था नेशनल प्रोजेक्ट्स कंस्ट्रक्शन कारपोरेशन लिमिटेड (एनपीसीसी) के खिलाफ कार्रवाई की है। धनराशि अवमुक्त होने के बाद भी निर्माण कार्य शुरू नहीं किए जाने पर कंपनी के मुख्य प्रबंध निदेशक के विरुद्ध प्राथमिकी करने का निर्णय लिया है। चिकित्सा शिक्षा निदेशक डा. आशुतोष सयाना ने इसकी पुष्टि की है।
उन्होंने बताया कि 11 मई 2020 को राजकीय मेडिकल कालेज पिथौरागढ़ के निर्माण कायरे के लिए एनपीसीसी को कार्यदायी संस्था नामित किया गया था। कार्यदायी संस्था को 76 करोड़ रुपये जारी कर दिए गए थे, पर संस्था ने कार्य शुरू नहीं किया। जिसके बाद 20 अगस्त 2022 को एनपीसीसी को हटाकर उत्तराखंड पेयजल संसाधन एवं निर्माण निगम को कार्यदायी संस्था नामित किया गया। एनपीसीसी को कई बार योजना से संबंधित अभिलेख, डीपीआर, भूमि से संबंधित प्रपत्र आदि नई कार्यदायी संस्था को हस्तांरति करने के निर्देश दिए गए, लेकिन एनपीसीसी ने अब तक ऐसा किया नहीं। योजना से संबंधित अभिलेख की साफ्ट कापी ही नई कार्यदायी संस्था को हस्तगत की गई है। इसके अलावा एनपीसीसी को आवंटित धनराशि भी नई कार्यदायी संस्था को उपलब्ध नहीं कराई गई है।
बताया कि 15 सितंबर को निदेशालय में आयोजित बैठक में एनपीसीसी के प्रतिनिधि ने अवगत कराया था कि एक सप्ताह के भीतर यह धनराशि हस्तांतरित कर दी जाएगी। फिर 19 सितंबर को मौखिक रूप से यह कहा कि धनराशि नई नवीन कार्यदायी संस्था को भेजी जा रही है। पर धनराशि अब तक नई कार्यदायी संस्था के खाते में नहीं आई है। तीन अक्टूबर को शासन ने एनपीसीसी के सीनियर मैनेजर को निर्देशित किया था कि धनराशि को उत्तराखंड पेयजल संसाधन एवं निर्माण निगम को हस्तांतरित न किए जाने की स्थिति में विधि कार्रवाई की जाएगी। इसके बावजूद भी धनराशि अवमुक्त नहीं की गई है। ऐसे में एनपीसीसी के मुख्य प्रबंध निदेशक के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराई जा रही है।