वीर सैनिकों के पराक्रम व बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता: सीएम
मुख्यमंत्री ने विजय दिवस पर गांधी पार्क स्थित वार मेमोरियल पर अर्पित किया पुष्प चक्र
पूर्व सैनिकों व वीर नारियों को स्मृति चिन्ह प्रदान कर किया सम्मानित
देहरादून। भारत-पाक युद्ध में भारतीय सेना को मिली ऐतिहासिक जीत के उपलक्ष में मनाए जाने वाले विजय दिवस पर शुक्रवार को वीर सैनिकों को याद किया गया। आज ही के दिन 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने घुटने टेक कर समर्पण किया था। राजधानी देहरादून के गांधी पार्क स्थित वार मेमोरियल पर मुख्य कार्यक्रम आयोजित किया गया। जहां पर प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी शहीद स्मारक पर पुष्प चक्र अर्पित कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर उन्होंने भूतपूर्व सैनिकों व वीरांगनाओं को शॉल ओढ़ाकर व स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर घोषणा की कि शहीद द्वार व स्मारकों के निर्माण कार्य अब सैनिक कल्याण विभाग के माध्यम से कराए जाएंगे। पहले यह कार्य संस्कृति विभाग के माध्यम से कराया जाता था। कहा कि वीरता पदक विजेता सैनिकों व वीर नारियों को उत्तराखंड परिवहन निगम की बसों में निशुल्क यात्रा की सुविधा मिलेगी। सीएम ने विजय दिवस को भारतीय सेना के वीर जवानों के अदम्य साहस, शौर्य और पराक्रम का दिन बताते हुए कहा कि आज ही के दिन वर्ष 1971 में पाकिस्तान के 93 हजार से अधिक सैनिकों ने हमारे वीर बहादुर सैनिकों के समक्ष घुटने टेक दिए थे। यह युद्ध भारत के वीरों के अटल संकल्प और बलिदान का प्रत्यक्ष उदाहरण था, जो कि द्वितीय वि युद्ध के बाद किसी भी सेना का यह सबसे बड़ा आत्म समर्पण था।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड देवभूमि होने के साथ पराक्रम और बलिदान की भूमि भी है। 1971 के भारत-पाक युद्ध में वीरभूमि उत्तराखंड के 255 जवानों ने भारत मां की रक्षा के लिए अपना बलिदान दिया था।
युद्ध में अपने अदम्य साहस और पराक्रम का परिचय देने वाले प्रदेश के 74 सैनिकों को विभिन्न वीरता पदकों से सम्मानित कर देश स्वयं सम्मानित हुआ था। ऐसे सभी वीरों के बलिदान की अमर गाथाएं आज भी हमारे युवाओं को प्रेरणा देने का काम करती हैं। सीएम ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन के अनुरूप राज्य में पांचवें धाम की नींव रखते हुए देहरादून में भव्य सैन्यधाम का निर्माण किया जा रहा है। यह स्मारक उन सभी वीरों को विनम्र श्रद्धांजलि है, जिन्होंने अपने प्राणों की परवाह ना करते हुए तिरंगे की शान एवं राष्ट्र की रक्षा के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया था। सैन्य धाम आने वाली अनेकों पीढ़ियों के लिए राष्ट्र अराधना के एक दिव्य प्रेरणा पुंज के रूप में कार्य करेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एक सैन्य परिवार में पैदा होने के कारण मैंने सैन्य परिवारों का संघर्ष एवं दुख-दर्द को नजदीक से देखा है। सैन्य परिवारों के लिए राज्य सरकार विशेष योजनाएं बना रही है, जिससे एक सैनिक को युद्ध में लड़ते समय अपने परिवार की चिंता न हो। राज्य सरकार ने सैनिकों या उनके आश्रितों को मिलने वाली अनुदान राशि बढ़ाने से लेकर शहीद सैनिकों के आश्रितों को राज्य सरकार के अधीन आने वाली नौकरियों में वरीयता के आधार नियुक्ति देने का निर्णय लिया है। सैनिक विश्राम गृहों की संख्या बढ़ाने के प्रयास जारी हैं। सैनिक कल्याण मंत्री गणोश जोशी ने कहा कि राज्य सरकार ने फैसला लिया है कि सैन्यधाम के मुख्य द्वार का नाम उत्तराखंड के वीर सपूत व देश के प्रथम सीडीएस जनरल बिपिन रावत के नाम पर रखा जाएगा। इस अवसर पर काबीना मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल, मेयर सुनील उनियाल गामा, विधायक खजान दास, विधायक सविता कपूर, निदेशक सैनिक कल्याण समेत तमाम पूर्व सैन्य अधिकारी, जवान व वीर नारियां भी मौजूद रही।