चिन्मय मिशन ने खोला लड़कियों के लिए विज्ञान महाविद्यालय
हरिद्वार। सेंट्रल चिन्मय मिशन ट्रस्ट मुंबई शिक्षा के क्षेत्र में अहम कार्य कर रहा है पूरे भारत में मिशन सौ से ज्यादा स्कूल कॉलेजों का संचालन कर रहा है साथ ही केरल के कोच्चि में चिन्मय विश्वविद्यालय भी उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अपना योगदान कर रहा है चिन्मय मिशन आदि जगतगुरु शंकराचार्य की परंपरा का पालन करता है इस परंपरा को चिरस्थाई बनाने के लिए चिन्मय मिशन ने कोच्चि में आदि जगतगुरु शंकराचार्य के जन्म स्थल पारघर में उस भूमि का क्रय किया जिसमें आदि जगतगुरु शंकराचार्य की माताजी रहती थी और इस भूमि पर चिन्मय विश्वविद्यालय की स्थापना की गई। जो आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ प्राचीन वैदिक शिक्षा परंपरा को भी आगे बढ़ा रहा है इसके अलावा चिकित्सा के क्षेत्र में भी चिन्मय मिशन के अहम कार्य कर रहा है तीर्थ नगरी हरिद्वार में भी चिन्मय मिशन ने शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किया और विज्ञान का महाविद्यालय 1989 में स्थापित किया। जिसमें 1000 से ज्यादा छात्र छात्राएं पढ़ते हैं। चिन्मय साइंस डिग्री कॉलेज खोलने से पहले हरिद्वार की लड़कियों को दूसरे शहरों देहरादून रुड़की, सहारनपुर साइंस में उच्च शिक्षा लेने के लिए जाना पड़ता था। यह लड़कियों के लिए विज्ञान की शिक्षा देने हेतु पहला शिक्षा केंद्र बना और यहां पर छात्र-छात्राएं दोनों ही शिक्षा ग्रहण करते हैं। हरिद्वार के चिन्मय मिशन महाविद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष कर्नल राकेश सचदेवा का कहना है कि कॉलेज का शैक्षिक स्तर और अधिक सुधारने के लिए कई अहम फैसले लिए गए और भविष्य में कई और अहम फैसले लिए जाएंगे साथ ही चिन्मय मिशन छात्र-छात्राओं के सर्वांगीण विकास के लिए इस कॉलेज को श्सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने पर गंभीरता से विचार कर कर रहा है। चिन्मय मिशन का उप संस्थान आर्गेनाइजेशन ऑफ रूरल डेवलप मेंट(सी.ओ.आर.डी.)भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत आधार प्रदान करने के लिए उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और तमिलनाडु के 700 गांवों को चुना है जहां महिला स्वयं सहायता समूह को आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है जो प्रधानमंत्री के भारत को आत्मनिर्भर बनाने के प्रयासों की ओर एक पहल है पूरे विश्व में चिन्मय मिशन की साढे तीन सौ से ज्यादा शाखाएं हैं भारतीय वैदिक सभ्यता के प्रतीक चिंतक विचारक स्वामी चिन्मयानंद महाराज ने 1953 में चिन्मय मिशन की आधारशिला रखी थी।