सतपाल महाराज ने किया सूर्यधार बैराज का स्थलीय निरीक्षण
देहरादून। सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने आज डोईवाला विकासखण्ड के अंतर्गत सिंचाई विभाग द्वारा जाखन नदी पर बन रहे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के ड्रीम प्रोजेक्ट सूर्यधार बांध परियोजना झील का स्थलीय निरीक्षण कर उसकी बढ़ती लागत पर नाराजगी जाहिर करते हुए जांच के आदेश दिये हैं। सिंचाई एवं पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने आज डोईवाला विकासखंड के अंतर्गत जाखन नदी सूर्यधार पर बन रहे बैराज के निर्माण कार्य का स्थलीय निरीक्षण किया। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस ड्रीम प्रोजेक्ट जिससे भोगपुर, घमंडपुर व लिस्ट्राबाद के 18 गांव की 1287 हेक्टेयर भूमि पर पूरे साल पर्याप्त सिंचाई की जा सकेगी। जलाशय के निर्माण से लगभग 33500 लोगों के पेयजल का भंडारण भी किया जायेगा। सिंचाई एवं पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि जलाशय निर्माण से इस क्षेत्र में पर्यटन का समुचित विकास होगा। जलाशय निर्माण के बाद क्षेत्र में जल संरक्षण व जल संवर्धन का लाभ भी क्षेत्र की जनता को प्राप्त होगा। महाराज ने आज सूर्यधार बैराज के निरीक्षण के दौरान बताया कि नाबार्ड मद के अंतर्गत बनने वाले इस बैराज के निर्माण की योजना लागत 50.24 करोड़ तय की गई थी जिसे बढ़ा कर 64.12 करोड़ कर दिया गया जो कि एक गंभीर मामला है। उन्होने कहा कि ऐसा क्यों हुआ है इसकी जांच की जायेगी। उन्होंने मौके पर ही अधिकारियों से भी इस संबंध में जवाब तलब किये। सिंचाई मंत्री ने माना कि परियोजना की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट में कुछ खामियाँ दिखाई दे रही हैं। मामले की जांच के आदेश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि इस जलाशय के बनने से इलाके के लोगों को रोजगार दिलाया जाएगा। यहाँ की सड़क भी बनाई जाएगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि मुख्यमंत्री जी की घोषणा के अनुरूप उनके इस ड्रीम प्रोजेक्ट की लागत नहीं बढ़नी चाहिए थी। उनके आदेशों का पालन होना चाहिए था। सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि वह विभाग द्वारा दिए जाने वाले बड़े-बड़े ठेकों को छोटा करके स्थानीय छोटे ठेकेदारों को रोजगार मुहय्या करायेंगे। उन्होंने कहा कि बांध ध्झील की ऊंचाई व चैड़ाई को भी नए सिरे से देखना होगा। बांध से हुए पुनर्वास के मसले व किसानों को मिलने वाले मुआवजे पर सिचांई मंत्री असंतुष्ट दिखे। महाराज ने कहा कि इस इलाके को बेहतर पर्यटक स्थल के तौर पर विकसित किया जाएगा। निरीक्षण के दौरान सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज के साथ ही प्रमुख अभियन्ता मुकेश मोहन, मुख्य अभियंता, पी. सी. गौड़, अधीक्षण अभियंता मनोज सिंह एवं अधिशासी अभियन्ता डी. के. सिंह सहित कई अधिकारी मौजूद थे।