टाट गांव के डॉ लीलानंद कर रहे काले गेूहं की खेती
कई रोगों के लिए रामबाण है काला गेहूं
रुद्रप्रयाग। विकासखण्ड जखोली के टाट गांव में औषधीय गुणों से भरपूर राजस्थान के चित्ताैडगढ़ के काले गेहूं की बुवाई की जा रही है। प्रगतिशील काश्तकार डॉ लीलानंद थपलियाल ने अभिनव प्रयोग करते हुए अपने खेतों में काला गेहूं बोया है। इस कार्य में .षि विभाग ने उनकी मदद की है। कृषकों की माने तो असिंचित भूमि में अधिक उत्पादन के साथ ही यह गेहूं कई रोगों के लिए रामबाण है।
बता दें कि बीते दो दशक से डॉक्टर लीलानंद उद्यानिकी व सब्जी उत्पादन कर रहे हैं। साथ ही कृषि के क्षेत्र में भी अभिनव प्रयोग कर रहे हैं। उन्होंने कृषि विभाग के सहयोग से राजस्थान का भ्रमण किया, जहां उन्हें काला गेहूं की जानकारी मिली। इसके बाद डॉ थपलियाल ने इंटरनेट व अन्य माध्यमों से जानकारी जुटाते हुए विशेषज्ञों से भी राय ली। बीते सप्ताह उन्होंने राजस्थान के चित्ताैड़ से दस किलो काला गेहूं मंगाया। कोरियर के माध्यम से डेढ़ सौ रुपये प्रतिकिलो भुगतान करना पड़ा। इस बीज को तीन खेतों में कृषि विभाग के सहायक विकास अधिकारी सव्रेर पंत व सहायक रोशन लाल की मदद से बोया गया। असिंचित भूमि पर इस बीज से सामान्य बीज की तुलना में लगभग डेढ़ गुना अधिक उत्पादन की उम्मीद है। बता दें कि राजस्थान के चित्ताैड़ समेत महाराष्ट्र व मध्य प्रदेश में कई काश्तकारों ने काला गेहूं की खेती कर अच्छी आय अर्जित की है। सिलगढ़ समिति के अध्यक्ष ओम प्रकाश बहुगुणा ने कहा कि डॉ थपलियाल का यह प्रयास सराहनीय कदम है। इनके दिशा-निर्देशन में अन्य ग्रामीणों को भी काले गेहूं के प्रति जागरूक किया जायेगा। वहीं मुख्य .षि अधिकारी एसएस वर्मा ने बताया कि काला गेहूं का उत्पादन सामान्य गेहूं की अपेक्षा अधिक होता है। साथ ही यह स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक है। जिले में विभागीय सहयोग से टाट गांव में एक काश्तकार के खेतों में बीज की बुवाई की गई है। आने वाले समय में जिले के अन्य काश्तकारों को भी काले गेहूं की खेती के लिए प्रेरित किया जायेगा। पूर्व उप ब्लाक प्रमुख कमल सिंह रावत ने भी डा. थपलियाल के प्रयास की सराहना की है।