सांप का काटा व्यक्ति मंदिर में पहुंचते ही हो जाता है ठीक
ऊखीमठ। देवभूमि में कई महत्वपूर्ण तीर्थ, पर्यटन, बुग्याल, सरोवर, हिमशिखर अपनी विशिष्टता के होते हुए भी प्रचार-प्रसार के अभाव में तीर्थ यात्रियों व सैलानियों से कोसों दूर हैं। इसी श्रृंखला में क्यूंजा घाटी के कान्दी गांव में विराजमान कौलाजीत महाराज का तीर्थ अपनी विशिष्ट स्थापत्य कला एवं तीर्थ महत्ता व प्रा.तिक सौन्दर्य से भरपूर होते हुए भी तीर्थ यात्रियों व सैलानियों की नजरों से ओझिल बना हुआ है। इस तीर्थ में विराजमान भगवान कौलाजीत को श्री भोगाजीत महाराज का सबसे बड़ा भाई माना जाता है।
भगवान कौलाजीत के गूठ गांव कान्दी में अन्य देवताओं का विश्राम करना निषेध माना गया है। मान्यता है कि स्थानीय पारंपरिक जात यात्राओं के कान्दी गांव में आगमन पर कौलाजीत के विश्राम में व्यवधान होता है। भगवान कौलाजीत की क्षेत्र में बहुत बड़ी मान्यता है। सांप द्वारा काटे गये व्यक्ति को मन्दिर में ले जाने पर सर्पदंश से मुक्ति मिलती है। भगवान कौलाजीत के मन्दिर में नित्यप्रति पूजा तथा भोग लगता है। स्थानीय श्रद्धालु उपज का प्रथम भोग पूजा के रूप में मन्दिर में अर्पित करते हैं। भगवान कौलाजीत का मन्दिर पर्वतीय शैली में बना हुआ अत्यंत प्राचीन है। इस तीर्थ में कौलाजीत महाराज की शक्ति कनासैण भी विराजमान है। कान्दी गांव में विराजमान कौलाजीत महाराज की पूजा का अधिकार भट्ट जाति के ब्राrाणों को है। क्यूंजा घाटी के कान्दी गांव में विराजमान कौलाजीत महाराज के तीर्थ में पहुंचने के लिए रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड राष्ट्रीय राजमार्ग से बांसवाडा हिल स्टेशन से बांसवाडा-चन्द्रनगर-मोहनखाल मोटरमार्ग पर कणसिली खूबसूरत हिल स्टेशन से या फिर रुद्रप्रयाग-पोखरी मोटरमार्ग पर मोहनखाल से पहुंचा जा सकता है। कणसिली व मोहनखाल से कान्दी गांव तक यातायात सुविधा उपलब्ध है। कौलाजीत महाराज के तीर्थ के दूसरे छोर पर क्रौंच पर्वत कार्तिक स्वामी तीर्थ से निकलने वाली पतित पावनी नील गंगा भी बहती है। नील गंगा के आंचल में 360 जल कुण्ड है, जिनमें स्नान करने से मानव का जीवन धन्य हो जाता है। कौलाजीत महाराज मन्दिर के पुजारी गोपाल राम भटट्, जगदीश चन्द्र भटट,् सच्चिदानंद भटट्, शान्ति प्रसाद भटट्, रामेर प्रसाद भटट्, ओमप्रकाश भटट् का कहना है कि कौलाजीत महाराज के दिव्य दर्शन करने से बुद्धि, तेज, आयु, यश, सम्पत्ति, सुख में वृद्धि होती है। जिला पंचायत सदस्य कण्डारा सुमन नेगी, प्रधान मीना देवी, पूर्व प्रधान प्रदीप चमोला का कहना है कि कौलाजीत महाराज के मन्दिर सहित कान्दी गांव को तीर्थाटन, पर्यटन से जोड़ने के साथ ही कान्दी गांव-कार्तिक स्वामी पैदल ट्रैक को विकसित करने की कवायद होती है तो स्थानीय युवाओं के सन्मुख स्वरोजगार के अवसर प्राप्त होगें तथा गावों से होने वाले पलायन पर रोक लगेगी।