129वीं जयंती पर याद किए गए वीर चंद्र सिंह गढ़वाली
देहरादून । पेशावर कांड के नायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली को शुक्रवार को उनकी 129वीं जयंती पर याद किया गया। उत्तराखंड क्रांति दल से जुड़े पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं ने कचहरी रोड स्थित पार्टी कार्यालय कार्यक्रम आयोजित कर वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर यूकेडी पदाधिकारियों ने उनके जीवन पर प्रकाश डाला। कहा कि वीर चंद्र सिंह गढ़वाली का जन्म वर्ष 1891 को हुआ था।
वर्ष 1914 में रॉयल गढ़वाल राइफल्स में भर्ती होने के बाद उन्होंने प्रथम वि युद्ध में भाग लिया था। 23 अप्रैल 1930 को बतौर हवलदार मेजर उन्होंने रॉयल गढ़वाल राइफल्स का नेतृत्व किया। उस समय जब एक अंग्रेज अफसर ने पठानों पर गोली चलाने का आदेश दिया तो जवानों की टुकड़ी का नेतृत्व कर रहे वीर गढ़वाली ने निहत्थे पठानों पर गोली चलाने से मना कर दिया था। यही से वीर चंद्र सिंह गढ़वाली पेशावर कांड के नायक ही नहीं बल्कि हिंदुस्तान का इतिहास भी बन गए गये थे। कहा कि वीर चंद्र सिंह गढ़वाली पृथक उत्तराखंड राज्य के सबसे बड़े पक्षधर थे। देश के पहले पंडित नेहरु से भी पर्वतीय भूभाग उत्तराखंड को अलग राज्य बनाने को उन्होंने कहा था। वह राज्य की राजधानी दूधातोली की बात करते थे, जो गैरसैंण के नजदीक है। यूकेडी कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि राज्य सरकार वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के नाम पर गैरसैंण का नाम चंद्रनगर गैरसैंण रखें। श्रद्धांजलि देने वालों में वरिष्ठ नेता लताफत हुसैन, जय प्रकाश उपाध्याय, सुनील ध्यानी, धम्रेन्द्र कठैत, अशोक नेगी, किरन रावत, राजेन्द्र प्रधान, अरविंद बिष्ट, गणोश काला, नरेश गोदियाल, शकुंतला रावत आदि मौजूद रहे।