सती मां अनुसूया मेला का समापन
गोपेश्वर। दो दिवसीय सती मां अनुसूया मेला मां अनुसूया व अन्य देवियों की पूजा अर्चना के बाद संपन्न हो गया है। रात्रि को मंदिर के अंदर खल्ला गांव की अनुसूया देवी की रथ डोली को मंदिर के अंदर निश्चित स्थान पर जगह न दिए जाने के चलते रात्रिभर अनुसूया देवीए देवलधार की ज्वाला देवी व कठूड की ज्वाला देवी ने मंदिर के बाहर ही रात बिताई। सुबह तीनों डोलियां अपने मूल स्थानों पर वापस लौट आई। जबकि सभी पांच डोलियां एक साथ दोपहर बाद वापस लौटती रही हैं।परंपरानुसार खल्ला गांव से सती मां अनुसूया की डोलीए बणद्वाराए सगरए कठूड़ए देवलधार से ज्वाला देवी की डोलियां प्रतिवर्ष दत्तात्रेय जयंती के अवसर पर सती मां अनुसूया मंदिर में ले जाई जाती हैं। इन डोलियों को पहले से ही मंदिर के अंदर बैठने के लिए निश्चित स्थान पर विराजमान किया जाता है। ग्राम विकास एवं धर्मस्व समिति ग्राम खल्ला मंडल के सचिव राजेंद्र सिंह नेगी का आरोप है कि अनुसूया मंदिर ट्रस्ट ने परंपराओं से हटकर ग्राम खल्ला की सती मां अनुसूया रथ डोली को पूर्व से निर्धारित स्थान पर विराजमान नहीं किया गया। जिससे खल्ला, देवलधार, कठूड की डोलियां मंदिर के बाहर खुले आसमान के नीचे रही। हालांकि रात्रि को पुलिस, प्रशासन ने भी मौके पर जाकर विवाद सुलझाने के प्रयास किए। बताया गया कि मंदिर समिति द्वारा बनाई गई एक नई डोली को खल्ला की अनुसूया की डोली के स्थान पर विराजमान किया था।श्री अनुसूया मां देवरा समिति के महाप्रबंधक भगत सिंह बिष्ट का कहना है कि बीते दिन मंदिर में मां अनुसूया देवरा यात्रा डोलीए बणद्वारा व सगर की ज्वाला देवी की डोलियां मंदिर में पहले पहुंची। मंदिर के अंदर सभामंडप में विराजमान हो गई। इसके बाद आई तीन डोलियों ने सभामंडप में विराजमान होने व भोग लेने से भी इन्कार कर दिया तथा मंदिर के बाहर ही बैठ गए। मंदिर समिति द्वारा इन डोलियों को सभामंडप में ले जाने के लिए आग्रह भी किया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि मंदिर के अंदर सभामंडप में डोलियों को रखने का कोई क्रम सुनिश्चित नहीं था। ऐसे में यह आरोप कि खल्ला की डोली को सुनिश्चित स्थान पर विराजमान नहीं किया गया यह आरोप बेबुनियाद हैं। उन्होंने कहा कि मंदिर में आने के क्रम में ही डोलियों को स्थान दिया गया।