जोशीमठ। हिमपल्रय के चलते एनटीपीसी की तपोवन टनल में फंसे लोगों को निकालने के लिए रेस्क्यू टीमों की जद्दोजहद मंगलवार को भी जारी रही। इसके बावजूद टनल में फंसे सभी लोगों को तीसरे दिन भी नहीं निकाला जा सका। एनटीपीसी की तपोवन टनल में करीब 35 लोगों के फंसे होने की आशंका है। मंगलवार को पुलिस ने आपदा की चपेट में आकर मरे छह और लोगों के शव बरामद किये हैं। अब तक 32 लोगों के शव मलबे से निकाले जा चुके हैं। रविवार से ही टनल में फंसे लोगों को बचाने का सिलसिला जारी है। बैराज साइट की टनल में फंसे मजदूरों व विभिन्न कार्यदायी संस्था के कार्मिकों को ढूंढने के लिए रेस्क्यू टीमों ने मंगलवार को भी खासा पसीना बहाया। इसके बावजूद सफलता अभी तक नहीं मिल पाई है। दरअसल टनल के अंदर टी-प्वाइंट पर मजदूर व कार्मिक काम पर रहे थे। टनल का टी-प्वाइंट करीब 180 मीटर की दूरी पर है। यहां बड़े-बड़े ट्रक व अन्य छोटे वाहन भी मौजूद थे। टी-प्वाइंट पर पहुंचने मे अब भी वक्त लग रहा है। टनल के ऊपरी हिस्से की ओर से मलबे का दलदल खिसक कर नीचे की ओर आ रहा है। डोजर मलबा निकालकर बाहर ला रहा है तो दोबारा अंदर जाने पर उसी स्थान पर उतना ही मलबा डंप हो जा रहा है। इस कारण 180 मीटर लंबा फासला तय करने तक रेस्क्यू में जुटे लोगों को दिक्कतें आ रही हैं। बताया जा रहा कि घटना के वक्त टी-प्वाइंट पर करीब 35 लोग काम कर रहे थे, जिनका अभी तक कोई सुराग नहीं लग सका है। सेना की गढ़वाल स्काउट बटालियन के कमांडिंग आफिसर कर्नल डीएस नेगी ने बताया कि अभी तक करीब 120 मीटर तक मलबा हटाया गया है। 180 मीटर टी-प्वाइंट तक पहुंचने के बाद ही वास्तविकता का पता चल सकेगा। टी-प्वाइंट सुरंग के अंदर 180 मीटर की दूरी पर चार टनल है। इनमें एक मुख्य टनल, दूसरी बैराज साइट की टनल, तीसरी-आउट फॉल टनल व चौथी टीबीएम मशीन को बाहर निकालने की टनल है। इसी को टी-प्वाइंट कहा जा रहा है। यहीं पर घटना के वक्त लोग काम में जुटे थे। तपोवन मे निरंतर सर्च ऑपरेशन जारी है। रैणी में बॉर्डर रोड का पुल आपदा में ध्वस्त होने के बाद अब वैकल्पिक व्यवस्था की जा रही है। इसके तहत बीआरओ के मुख्य अभियंता एएस राठौड़ पूरी मशीनरी के साथ मौके पर मौजूद हैं।