देहरादून। त्रिवेंद्र मंत्रिमंडल ने आज सीएम घसियारी कल्याण योजना की जो नींव रखी है, उससे विशेषकर ग्रामीण व पर्वतीय क्षेत्र की घरेलू महिलाओं को बड़ी राहत मिलेगी। इस योजना से महिलाओं के पीठ व सिर से जहां चारा पत्ती ढोने का बोझ कम होगा वहीं ईधन के लिए जंगलों में भटकने से भी राहत मिलेगी। वर्तमान में 103 लाख मीट्रिक टन चारे की कमी है, जो महिलाओं को ढोना पड़ता है। कल्याण योजना में सस्ता चारा मिलेगा तो महिलाओं को इससे मुक्ति मिलेगी। राज्य में महिलाओं को सबसे अधिक परेशानी जानवरों को पालने में आती है। उन्हें पशुओं के लिए चारे का इंतजाम करने की सबसे बड़ी चुनौती से जूझना पड़ता है। दुधारू पशुओं की संख्या 9,13,894 है, इसमें से पर्वतीय क्षेत्र में 6,82,389 पशु हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि जानवरों का पालने में जुटी कुल 4,56,947 महिलाओं में से 3,41,195 महिलाएं पर्वतीय जनपदों की हैं। सरकार ने इस योजना के तहत सस्ता चारा देने की जो योजना बनायी है, उससे इन महिलाओं को मीलों दूर जाकर जंगल से चारा नहीं ढोना होगा। राज्य में घरेलू काम करने वाली महिलाओं की कुल संख्या 2175937 है, जिसमें से पर्वतीय जनपदों में रहने वाली महिलाएं 16,24,736 हैं। अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, चमोली व टिहरी जनपदों में सर्वाधिक महिलाएं हैं, जो चारा आदि का बोझ उठा रही हैं। सरकार की इस योजना से वास्तव में महिलाओं का बोझ कितना घटेगा यह तो भविष्य ही बताएगा, लेकिन जानवरों की संख्या को देखें तो राज्य की मातृशक्ति बहुत भारी बोझ उठा रही है।