देहरादून। भाजपा विधायक डा. धन सिंह रावत टीम तीरथ में शामिल तो हो गए हैं, लेकिन उन्हें प्रमोशन नहीं मिला है। वह मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की मंत्रिपरिषद में फिर से राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार )की हैसियत से ही दाखिल हुए हैं। उनके साथ ही पूर्व राज्य मंत्री व सोमेर विधायक रेखा आर्य भी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार )बनी हैं। साथ ही 2017 में कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को हरिद्वार ग्रामीण से हराने वाले स्वामी यतीरानंद को भी तीरथ की टीम में बतौर राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जगह दी गई है।
उल्लेखनीय कि त्रिवेंद्र सरकार में डा. धन सिंह रावत भले ही राज्यमंत्री ही रहे हों, लेकिन फिर भी वे नंबर दो माने जाते थे। संघ पृष्ठभूमि के डा. धन सिंह रावत भाजपा के प्रदेश संगठन महामंत्री भी रहे हैं। ऐसे में उनका संगठन में अच्छा प्रभाव माना जाता था। इतना ही नहीं वे त्रिवेंद्र सरकार के समय वे इतने ताकतवर हो गए थे कि जब पूर्व सीएम को हटाए जाने की चर्चाएं आम हुई तो माना जाने लगा कि भाजपा आलाकमान डा. धन सिंह रावत पर दांव खेल सकता है। वजह यह थी कि पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत उन्हें कई वो काम सौंपते थे जो कि उन्हें करने होते थे। मिसाल के तौर पर गैरसैंण विधानसभा सत्र के बाद जिन कार्यक्रमों का मुख्य अतिथि तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को होना था सियासी उठापटक के बीच जब वह वहां नहीं जा सके तो उन्होंने अपने बदले डा. धन सिंह रावत को भेजा था। डा. रावत को तरजीह देने की वजह से त्रिवेंद्र रावत के समय माना जाता था कि जब भी वह कैबिनेट का विस्तार करेंगे डा. धनसिंह को प्रोन्नत करके कैबिनेट मंत्री बना देंगे। हालांकि हालिया सियासी उठापटक के बीच माना जा रहा था कि वे मुख्यमंत्री पद तक पहुंचने के लिए लॉबिंग कर रहे थे और 30-32 विधायकों से अपने समर्थन में दस्तखत करा चुके थे, माना जाता है कि उनका यही सियासी दांव उनका पक्ष भाजपा आलाकमान के सामने कमजोर कर गया।