G-KBRGW2NTQN सरकार ने अशासकीय कॉलेजों के किसी कर्मी का वेतन नहीं रोका : आनंद बर्धन – Devbhoomi Samvad

सरकार ने अशासकीय कॉलेजों के किसी कर्मी का वेतन नहीं रोका : आनंद बर्धन

देहरादून।  प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा आनन्द बर्धन ने कहा कि अगले वित्तीय वर्ष से केवल उन्हीं  महाविद्यालयों को वेतन मिलेगा जो राज्य विवि से सबद्धतता लेंगें। बृहस्पतिवार को सचिवालय स्थित वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली सभागार में अशासकीय अनुदानित महाविद्यालयों की संबद्धता के बाबत महाविद्यालयों के प्रबंधतंत्र एवं प्राचार्यों के साथ शासन, निदेशालय और विविद्यालय के अधिकारियों के साथ बैठक की अध्यक्षता करते हुए प्रमुख सचिव ने कहा कि चूंकि हेनब गढ़वाल विवि, केंद्रीय विविद्यालय के रूप में परिणत हो चुका है और तकनीकी रूप से अशासकीय  महाविद्यालय केंद्रीय विवि  एक्ट  के अधीन नहीं आते। ऐसे में राज्य विवि से संबद्ध होने पर ही प्रदेश सरकार उनकी सहायता कर सकती है । बैठक के दौरान अनेक महाविद्यालयों ने श्रीदेव सुमन राज्य विवि से सबद्धत्ता लेने हेतु सहमति भी दी। प्रमुख सचिव ने कहा कि जिन महाविद्यालयों में जिस विषय में हेनब गढ़वाल विविविद्यालय से स्थायी संबद्धता मिली हुयी है उन विषयों में श्रीदेव सुमन विविद्यालय से सम्बद्धत्ता लेने की स्थिति में स्थायी संबद्धता प्रदान की जाएगी तथा हेनब गढ़वाल विवि में सम्बद्धता के लिए जमा प्रतिभूति राशि के बराबर राशि ही महाविद्यालयों को जमा करना होगा, किसी अतिरिक्त राशि को जमा नहीं करना होगा। ऐसे महाविद्यालय जो बहुत पुराने हैं तथा जिनकी किसी प्रकार की प्रतिभूति राशि हेनब गढ़वाल विवि में जमा नहीं है, उनके प्रति भी सरकार सकारात्मक विचार करेगी। श्रीदेव सुमन विवि के कुलपति प्रोफेसर पी पी ध्यानी ने अशासकीय अनुदानित महाविद्यालयों को विविद्यालय से संबद्धत्ता की स्थिति में हर प्रकार के त्वरित सहायता के प्रति आस्त किया। उन्होंने यह कहा कि, विवि अशासकीय अनुदानित महाविद्यालयों को सम्बद्धत्ता की प्रक्रिया और मान्यता प्रदान करने के लिए विविद्यालय सम्बंधित महाविद्यालयों को ऑफलाइन मोड में आवेदन करने की शिथिलता प्रदान करेगा। महाविद्यालयों द्वारा श्रीदेव सुमन विविद्यालय से सम्बद्ध होने की स्थिति में  अशासकीय अनुदानित महाविद्यालयों में लागू सीबीसीएस पद्धत्ति के बाबत स्पष्ट करते हुए प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा ने कहा कि जिन महाविद्यालयों में सीबीसीएस पद्धत्ति चल रही है वहां कोई परिवर्तन नहीं होगा बल्कि राज्य सरकार द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति के परिप्रेक्ष्य में अपेक्षित परिवर्तन के लिए भविष्य में समस्त कॉलेजों में भी इस पद्धत्ति को लागू  करने  पर  विचार किया जा रहा है।

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