कोरोना में घबराहट के लिये कोई स्थान नहीं : हरीश रावत
देहरादून। कोरोना संक्रमण के बाद की स्थितियों को लेकर पूर्व सीएम हरीश रावत ने गहरी चिंता व्यक्त की है। रावत ने कहा कि टेलीफोन की घंटी भींिचता में डाल रही है। उन्होेंने सोशल मीडिया पर लिखी एक पोस्ट में लिखा है कि हम सब कोरोना को लेकर बहुत परेशान हैं। टेलीफोन में आ रही प्रत्येक घंटी चिंता बढ़ा रही है, ऐसी स्थिति में हम सबको धैर्य रखने की आवश्यकता है। उन्होंने सुझाव दिया है कि हर व्यक्ति अपना मनोबल ऊंचा रखे। पीड़ितों के लिये संक्रमण के खिलाफ लड़ाई जीतने के लिये ऐसा करना बहुत आवश्यक है। रावत ने कहा कि वे खुद तीन-चार दिन अपनी लापरवाही के कारण गंभीर संक्रमण की चपेट में आ गये थे, लेकिन अब ईष्ट देवता व पित्रों के आशीर्वाद एवं डाक्टरों के प्रयास और लोगों की सद्भावनाओं से संक्रमण से बाहर निकल गये हैं। रावत ने कहा है कि उन्होंने अपने मन में यह ठान लिया था कि वे संक्रमित के रूप में प्राण नहीं छोड़ेंगे। हमें चिंता करने के बजाय कुछ ऐसे कदम उठाने चाहिये जिससे हम संक्रमण से बच सकें। उन्होंने मास्क पहनने व सोशल डिस्टेंसिंग का पूरी तरह पालन करने का सुझाव भी दिया है।
कई देशी नुस्खे भी सुझाये : हरीश रावत ने कोरोना से बचाव के लिए कई देशी नुस्खे भी सुझाये हैं। उन्होंने तिमुर (तिमरू) की दतौन तीनों समय करने, लोहे की कढ़ाई में भट्ट की चुड़काणी (भट्टवाणी) जिसमें चौलाई, बथुवा, पालक या कण्डाली का अधिक से अधिक सेवन करने को कहा है। रावत ने लिखा है कि कैरूवा (स्परगश) आजकल पहाड़ों के खेतों में बहुत मिलता है, उसकी सब्जी या उसे कच्चा खा सकते हैं तो अवश्य खाएं। इसके साथ ही पीली छाल का नींबू यदि छिक्कल सहित खाया जा सके तो इसके अंदर भी प्रतिरोधात्मक शक्ति पैदा करने की क्षमता है। इसके छिक्कल में दुर्लभ एंटी आक्सीडेंट पायी जाती है, काफल का सेवन भी लाभकारी है। उन्होंने बद्री गाय व पहाड़ी बकरी का दूध पीने का सुझाव भी दिया है। योगा को उन्होंने करते रहने का सुझाव दिया है।