संकट के बादल भी छटंगें
आज मानवता संकट में है और मानव का जीवन खतरे में। भारत में कोरोना की दूसरी लहर त्राहिमाम – त्राहीमाम मचा रही है। संचार के सभी माध्यमों प्रिंट,इलेक्ट्रॉनिक, सोशल, रेडियो, सैटेलाइट, जन संचार से कोरोना के बचाव के उपायों को बताया जा रहा हैं। हमें कोरोना प्रोटोकॉल का जरूर पालन करना चाहिए। आखिर महामारी के इस नाज़ुक समय में हमे यह जानने का पूरा हक है कि हम अपने परिवार, पड़ोसी, आस पास, गांवो, क़स्बों, शहरों, जनपदों, प्रान्तो व देश का बचाव कैसे करें। देश में कोरोना का कहर मिलजुलकर ही कम किया जा सकता हैं और खत्म भी किया जा सकता है। चौबीसों घंटो सरकार व व्यस्था को कोसकर व इसकी हिलहवाली को समझकर कोरोना नही हटने वाला है। ये अपनी जगह सही भी हो सकता है, लेकिन ये आवाज है इस वक़्त की –कि हम जरूरी होने पर ही घर की ड्योढ़ी से कदम बाहर रखे,भीड़ भाड़ वाली जगहों में कतई ना जाये, अच्छी तरह से नाक मुह ढककर, मास्क पहने, खास तौर पर कार्यस्थलों और आवागमन में भूल कर भी नाक, मुह को हाथों से स्पर्श ना करे। चिकित्सकीय व वैज्ञानिकों के तथ्यों, परीक्षणों से पता चला है कोविड 19 का यह विषाणु सबसे अधिक हमारी नाक से प्रवेश पाता है, नाक एक किस्म से इसका गेटवे है जो फेफड़ों के संक्रमण का पहला कारण बनता है। हाथों को साफ पानी से धोना व सैनिटाइजर का इस्तेमाल भी संक्रमण को रोकते हैं।
आपदा के इन क्षणों में हम हाथ पर हाथ धरे तो नही बैठ सकते?. हमें लड़ना होगा।हमारे हथियार होंगें– दो ग़ज़ की दूरी,मास्क जरूरी,
हैंड वाश करते रहना, जाकर कही भीड़ नही बडाना,
योग, ध्यान, प्राणायाम, व्यायाम हो हिस्सा,
ऐसे ही हारेगा कोरोना दुनिया सुनेगी ये किस्सा।
मानवता पर आए इस संकट को भी जाना होगा। इससे पहले कि ये हम तक पहुचे हमें अपने मज़बूत रक्षा तंत्र प्रणाली, सतर्कता व सावधानी से इसे मार भागना होगा। जान पर आए इस जंजाल का अंत होगा और मज़े की बात है कि हमारे ही हाथों से होगा। किसी भी प्रकार की नकारात्मक यथा बातें, चित्रों, दृश्यों, आवाजें, समाचारों, सोंचो से रत्ती भर भी विचलित नही होना हैं। अंधेरों के उस पार रोशनी है। और ये रोशनी में हम सब संग मुस्करायेंगे, जगमगाएंगे । जीवन की ये जंग जीतेंगे।
प्रेम प्रकाश उपाध्याय ‘नेचुरल’
(लेखक सामाजिक जीवन से जुड़े है और महामारी से बचने को लोगो को जागरूक कर रहे हैं)