रहस्यों से भरी है भगवान कार्तिक स्वामी की तपस्थली
कार्तिक स्वामी तीर्थ में है ऐड़ी आछरियों का वास
प्रसन्नक्रौंच पर्वत के चारों तरफ 360 गुफाएं और जल कुण्ड
ऊखीमठ। देव सेनापति भगवान कार्तिक स्वामी की तपस्थली क्रौंच पर्वत अनेक रहस्यों से भरा हुआ है। भगवान कार्तिक स्वामी के देव सेनापति होने के कारण तैतीस कोटि देवी-देवता इस तीर्थ में आकर भगवान कार्तिक स्वामी की पूजा-अर्चना करते हैं। कार्तिक स्वामी तीर्थ में ऐड़ी आछरियों का वास माना जाता है, जिन्हें स्थानीय लोग अनेक प्रकार के श्रृंगार का सामान अर्पित कर खुश करते हैं। क्रौंच पर्वत के चारों तरफ 360 गुफाएं विद्यमान है। यहां साधक समय-समय पर जगत कल्याण के लिए साधना करते हैं तथा सिद्धि मिलने पर वि भ्रमण पर निकले हैं। क्रौंच पर्वत पर 360 जल कुण्ड भी विद्यमान है, जिनके दर्शन सौभाग्यशाली या फिर भगवान कार्तिक स्वामी का परम उपासक ही कर पाते हैं।
कार्तिक स्वामी तीर्थ के उत्तर पूरब दिशा के मध्य में बीहच चट्टानों के मध्य एक जल कुण्ड है, जिसे स्थानीय भाषा में कुई कहा जाता है। इस जल कुण्ड तक पहुंचने के लिए पैदल मार्ग बहुत विकट है। इसलिए इस जल कुण्ड तक पहुंचने के लिए अदम्य साहस व प्रभु कार्तिकेय की असीम .पा होना अनिवार्य माना गया है। 1942 से चली परम्परा के अनुसार प्रति वर्ष जून माह में होने वाले महायज्ञ व पुराणवाचन में इस जल कुण्ड से भव्य जल कलश यात्रा निकाली जाती है। पूर्व में इस जल कुण्ड तक पहुंचने के लिए एक पेड़ की लता का सहारा लिया जाता था, मगर लगभग 15 वर्ष पूर्व पेड़ की लता के टूटने से अब रस्सी के सहारे जल कुण्ड तक पहुंचा जा सकता है या फिर भगवान कार्तिक स्वामी का परम भक्त व प्र.ति का रसिक चट्टान पकडकर जल कुण्ड तक पहुंचते हैं। जल कुण्ड के तीन तरफ फैले चट्टान की एक विशेषता है कि जहां पांव पड़ जाय, वहीं पांव रूक जाता है तथा भारी बारिश में भी चट्टान पर फिसलन नहीं होती है। इस जल कुण्ड के इर्द-गिर्द गन्दगी होने पर जल कुण्ड का पानी सूख जाता है तथा ब्राrाण की ओर से हवन तथा जल कुण्ड का शुद्धिकरण के बाद ही जल कुण्ड में पानी पुन: भर जाता है। इस जल कुण्ड की एक और विशेषता है कि एक जल कलश भरने पर भी जल कुण्ड का जल समान रहता है तथा एक सौ जल कलश भरने पर भी जल कुण्ड का जल समान रहता है। जून माह में होने वाले महायज्ञ के दौरान सैकड़ों श्रद्धालु जल कुण्ड के दर्शन करने की इच्छा जाहिर तो करते हैं, मगर भगवान कार्तिक स्वामी का परम भक्त व परम पिता परमेर का सच्चा साधक ही जल कुण्ड के दर्शन कर पाता है। इस जल कुण्ड का जल इतना पवित्र है कि लोग अपने घरों में इस जल कुण्ड का जल पूजा स्थान पर रखते है। कार्तिक स्वामी मन्दिर समिति अध्यक्ष शत्रुघ्न नेगी बताते हैं कि बीहड़ चट्टानों को पार करने के बाद जल कुण्ड तक पहुंचा जा सकता है। प्रबन्धक पूर्ण सिंह नेगी बताते है कि वर्तमान समय में रस्सी के सहारे जल कुण्ड तक पहुंचा जा सकता है। उपाध्यक्ष बिक्रम नेगी बताते है कि जिस भक्त के मन में जल कुण्ड के दर्शन करने की मन में अगाध श्रद्धा हो उसे जल कुण्ड के दर्शन अवश्य होते हैं। सचिव बलराम नेगी बताते हैं कि जल कुण्ड का जल हमेशा समान रहता है। कोषाध्यक्ष चन्द्र सिंह नेगी बताते हैं कि यह जल कुण्ड भगवान कार्तिक स्वामी के मन्दिर से लगभग एक किमी दूर है। क्षेत्र पंचायत सदस्य घिमलोली अजरुन सिंह नेगी बताते हैं कि इस जल कुण्ड के दर्शन आसानी से नहीं किये