G-KBRGW2NTQN सावधान ! डेल्टा से भी खतरनाक लैंब्डा की धमक – Devbhoomi Samvad

सावधान ! डेल्टा से भी खतरनाक लैंब्डा की धमक

वायरस का प्रोटीन बदलने से ले रहा नए स्वरूप 
लैंब्डा फेफड़ों पर डज्ञल रहा असर
वैक्सीन लगवाने वालों की 90 प्रतिशत कम हुई मौतः प्रो. रविकांत 
देहरादून। कोरोना संक्रमण के डेल्टा वेरिएंट की दस्तक के बाद से ही कोविड की तीसरी लहर आने की आशंका बढ़ गई है। इसी बीच डेल्टा प्लस वेरिएंट के बाद लैंब्डा वेरिएंट भी आने की आशंका जताई जा रही है। विशेषज्ञों के मुताबिक डेल्टा प्लस वेरिएंट ज्यादा खतरनाक साबित नहीं होगा। अगर लोगों ने कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लगवा ली हैं और लगातार मास्क पहन रहे हैं तो 90 फीसदी गारंटी है कि अगर किसी को संक्रमण होता है, तो उसे आईसीयू में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
ऋषिकेश एम्स के डायरेक्टर प्रो. रविकांत ने बताया कि जब कोरोना वायरस का प्रोटीन बदलता है, तो कोरोना वायरस एक नए स्वरूप यानी नए वेरिएंट के रूप में सामने आता है। वर्तमान में डेल्टा प्लस वेरिएंट ने देश के कई राज्यों में दस्तक दे दी है। ऐसे में अब कोरोना संक्रमण के नए वेरिएंट के रूप में लैंब्डा वेरिएंट आ रहा है।
उन्होंने कहा कि कोरोना का डेल्टा प्लस वेरिएंट ज्यादा खतरनाक नहीं है। फिलहाल जो रिसर्च में बात सामने में आई है, उसके अनुसार फेफड़ों पर इसका असर पड़ेगा। रविकांत ने बताया कि दूसरी लहर के बाद संक्रमित हुए मरीजों में अधिक स्टेरॉयड लेने की वजह से उनकी हड्डियों पर इसका साइड इफेक्ट देखने को मिल रहा है। ऋषिकेश एम्स निदेशक ने बताया कि अमेरिका में हुई रिसर्च में सामने आया है कि जिन्होंने वैक्सीन लगवा ली है, उसमें से 90 प्रतिशत लोगों की मौत नहीं हुई है। ऐसे में लोगों को वैक्सीन के प्रति जागरूक होने की जरूरत है। रविकांत ने बताया कि देश में जब 80 फीसदी लोगों को वैक्सीन लग जाएगी तब जाकर, मास्क पहनने से लोगों को फ्रीडम दी जा सकती है।
अधिक से अधिक वैक्सीन लगवाने का किए आह्वान 
देहरादून। रविकांत ने बताया कि कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर की आशंका है, लेकिन अगर हम चाहते हैं कि संक्रमण की तीसरा लहर दस्तक ना दे तो ऐसे में जरूरी है कि अधिक से अधिक लोगों का वैक्सीनेशन कर दिया जाए। इसके साथ ही जिस भी व्यक्ति को वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी हैं, उन्हें अगले 2 महीने तक पूरी सावधानियां बरतने की जरूरत है, ताकि कोरोना संक्रमण के तीसरी लहर की चपेट में ना आ पाएं। ये दो ही तरीके ऐसे हैं, जिनके माध्यम से तीसरी लहर से बचा जा सकता है।

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