7 लाख से अधिक के गबन के आरोपित सचिव को राहत नहीं
आत्मसमर्पण करने के आदेश
नैनीताल। प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश प्रीतू शर्मा की अदालत ने वर्ष 1991 से 1996 के बीच स्थानीय लोगों के साथ मिलकर सात लाख 33 हजार 623 रुपए की धोखाधड़ी करने के आरोपित साधन सहकारी समिति सुयालबाड़ी के सचिव मोहन सिंह बिष्ट को कोई राहत नहीं दी। अदालत ने आरोपित पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की निचली अदालत द्वारा 19 दिंसबंर 2013 को भारतीय दंड संहिता की धारा 409, 420, 467, 468 व 471 के तहत किए गए दोष सिद्ध की पुष्टि कर दी है। अलबत्ता उसे धारा 120बी व 409 में दोषमुक्त किया है। साथ ही आरोपित दो अगस्त तक अवर न्यायालय के समक्ष आत्मसमर्पण करने के आदेश दिए। उल्लेखनीय है कि आरोपित ने उसे मिली सजा को ऊपरी अदालत में चुनौती दी थी। जिला शासकीय अधिवक्ता-फौजदारी सुशील कुमार शर्मा ने आरोपित की अपील का विरोध करते हुए कहा कि उसने सहकारी समिति की धनराशि का क्षेत्रीय काश्तकारों से मिलकर व्यक्तिगत उपयोग किया। उसके खिलाफ निचली अदालत में पुख्ता सबूत पेश हुए हैं, जिस पर उसे सही सजा मिली है। उसकी अपील आधारहीन है। उल्लेखनीय है कि आरोपित को निचली अदालत विभिन्न धाराओं में दो व तीन वर्ष की कैद तथा 10-10 हजार के जुर्माने की सजा सुना चुकी है। उसे 26 सितंबर 1996 को निलंबित भी कर दिया गया था।