बदरीनाथ धाम में नमाज पढ़े जाने के विरोध में उतरे शंकराचार्य के शिष्य
भविष्य के लिए खतरे का संकेत बताया
देहरादून। भू बैकुंठ धाम बदरीनाथ में एक धर्म विशेष के लोगों द्वारा बकरीद के मौके पर नमाज़ पढ़े जाने का ज्योतिष एवं द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य प्रतिनिधि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कड़ी नाराजगी जताई है उन्होंने कहा कि करोड़ों हिंदुओं की आस्था एवं विश्वास के केंद्र में इस तरह का कृत्य किया जाना सनातन धर्म पर हमला है।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि यह सार्वजनिक किया जाना चाहिए कि नमाज पढ़ने के लिए किस ने मंजूरी दी और किसके संरक्षण में यह सब हुआ ।
आज एक बयान में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि बदरीनाथ धाम की परंपराएं निरंतर टूट रही हैं और अब धाम में एक धर्म विशेष के लोगों द्वारा नमाज अदा की गई है। उन्होंने उत्तराखंड सरकार से मांग की है कि इसमें संलिप्त लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि इसमें शामिल लोगों के खिलाफ समय रहते कार्रवाई नहीं हुई तो देश के संतों को साथ में लेकर बदरीनाथ कूच करेंगै। इस सब की जिम्मेदारी उत्तराखंड सरकार की होग। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि इस धाम में जहां शंख ध्वनि वर्जित है, वहां नमाज पढा जाना भविष्य के लिए खतरे का संकेत है।
गौरतलब है कि प्रदेश के चारों धामों के तीर्थपुरोहित चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को समाप्त करने की मांग को लेकर आंदोलनरत हैं और इसी बीच बदरीनाथ में नमाज पढ़े जाने की घटना ने आग में घी का काम कर दिया है।
शुक्रवार 23 जुलाई को तीर्थपुरोहितों ने उत्तरकाशी में जन आक्रोश रैली का आह्वान किया था, इसकी तैयारी भी हो गई लेकिन इससे पूर्व बुधवार को सीएम पुष्कर सिंह धामी ने देवस्थानम एक्ट पर पुनर्विचार का आश्वासन देकर कुछ समय के लिए मामले को टाल दिया है।
बताते चलें कि प्रदेश के चारों धामों में यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ नाम से चार विधानसभा सीटें हैं और गंगोत्री सीट का मिथक चला आ रहा है कि जो पार्टी यहां से विजयी होती है, प्रदेश में उसकी सरकार बनती रही है। ऐसे में धामी भी खतरा उठाने के लिए तैयार नहीं हैं। दूसरी ओर पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत देवस्थानम बोर्ड एक्ट को उत्तराखंड के विकास की कुंजी बता रहे हैं। देखना यह है कि धामी क्या फैसला लेते हैं और त्रिवेंद्र का रुख क्या रहता है? ऊपर से तीर्थ पुरोहितों का आंदोलन जारी है।