शहीद देवेन्द्र सिंह सूचना के बाद से क्षेत्र में पसरा है सन्नाटा
रुद्रप्रयाग/गुप्तकाशी। जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में घुसपैठियों के मंसूबों को नाकाम करते हुए उत्तराखण्ड के दो वीर जवान देवेंद्र सिंह और अमित कुमार शहीद हो गए। इनमें रुद्रप्रयाग जिले के तहसील बसुकेदार के तिनसोली निवासी देवेंद्र सिंह राणा पुत्र भोपाल सिंह राणा शहीद हो गए। शहीद का पार्थिव शरीर मंगलवार को रुद्रप्रयाग पहुंचेगा, जिसके बाद सैनिक सम्मान के साथ भीरी में शहीद का अन्तिम संस्कार किया जायेगा।
घटना के बाद शहीद देवेन्द्र की मां चीत्कार कर रही है तो पिता अपने शहीद बेटे की शहादत पर मातम मना रहे हैं। उन्हें गर्व है कि उनका बेटा देश सेवा करते करते शहीद हो गया। कुपवाड़ा में शहीद हुए देवेंद्र सिंह (39) के शहीद होने की खबर जैसे ही प्राप्त हुई। समूचे क्षेत्र में इस दुखद घटना से मातम पसर गया। जहां मां की आंखें पुत्र के गम में रो रो कर लाल हो चुकी हैं, वहीं वृद्ध पिता भी अपने बेटे की याद में मां आंसू बहा रहे हैं। देवेन्द्र की मां कुंवरी देवी तो बाहर की ओर टकटकी लगाए देख रही है और ग्रामीणों से पूछ रही है कि मेरा बेटा जरूर वापस आएगा।
आंसू बहाती शहीद की मां कुंवरी देवी
तहसील बसुकेदार के ग्राम पंचायत तिनसोली के भोपाल सिंह राणा और कुंवरी देवी के घर जब देवेंद्र का जन्म हुआ, तब उन्होंने कभी भी नहीं सोचा था कि एक दिन इस घटना को अपनी आंखों से देखना पड़ेगा। लेकिन शनिवार प्रात: कुपवाड़ा में आतंकियों की घुसपैठ को नाकाम करने की कोशिश में देश का एक और लाल शहीद हो गया। अपने पीछे दो नन्हे-मुन्ने बच्चों और पत्नी, वृद्धि मां-बाप को बेसहारा छोड़ गया। पिता भूपाल सिंह के दो बेटे और एक बेटी हैं। सबसे बड़े देवेंद्र सिंह ही थे। महज बीस साल की उम्र में जब वह सैनिक के रूप में थल सेना में नियुक्त हुए तो गांव में खुशी का माहौल था। इन बीस सालों में वे अपनी मेहनत के बलबूते हवलदार की रेंक पा चुके थे, लेकिन नियति को तो कुछ और मंजूर था। देश को सामरिक रूप से बर्बाद करने की नियत से जब आतंकवादी कुपवाड़ा के रास्ते कश्मीर में घुसने की कोशिश कर रहे थे। ऐसे में देवेंद्र सिंह अपने सात साथियों के साथ आतंकवादियों के सर्च अभियान में निकल चुके थे। जैसे ही उन्हें उनकी लोकेशन का पता लगा। इस सैन्य टुकड़ी ने आतंकवादियों के छक्के छुड़ा दिए। हालांकि इस दौरान हमारे पांच जवान भी शहीद हो गए।
शहीद देवेन्द्र सिंह
देवेंद्र सिंह के पिता भूपाल सिंह नम आंखों से अपने बेटे की शहादत पर फक्र महसूस करते हैं। वह कहते हैं कि रविवार दिन में दूरभाष से सिर्फ यह बताया गया था कि उस क्षेत्र की हालत ठीक नहीं है। उन्हें सोमवार सुबह देहरादून से देवेंद्र सिंह की पत्नी के मकान मालिक का फोन आया और कहा कि क्या सब कुछ घर में ठीक ठाक है। ऐसा सुनकर भूपाल सिंह को शक हुआ। सोमवार सुबह देर उनके छोटे बेटे रविंद्र सिंह जो कि श्रीनगर में व्यापारिक प्रतिष्ठान चलाते हैं का फोन आया और उन्होंने अपने परिजनों को सच-सच बता दिया। इस दुखद घटना को सुनकर ही समूचे क्षेत्र में मातम पसर गया। देवेंद्र सिंह हाईस्कूल पास करते ही सेना में भर्ती हो गए। सात वर्ष पूर्व देवेंद्र सिंह अपनी पत्नी और दोनों बच्चों के साथ देहरादून शिफ्ट हो गए थे। केदारनाथ विधायक मनोज रावत ने देवेंद्र को नमन करते हुए कहा कि उत्तराखंड की सैन्य बलिदान की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए सर्वोच्च बलिदान देते हुए परिवार, गांव, जिले, उत्तराखंड और अपनी गौरवशाली पलटन का नाम रोशन किया है।