उत्तराखंड में जल, जंगल जमीन सहित तमाम मुद्दों पर होगा विमर्श
अल्मोड़ा। उत्तराखंड में मानवाधिकार की स्थिति, पर्यावरण एवं विकास को लेकर क़रीब 30 जन संगठन/ संस्थाओं द्वारा 31 जुलाई एवं 1 अगस्त को यहां शिखर होटल में दो दिवसीय संवाद/ विमर्श आयोजित होने जा रहा है। इसमें उत्तराखंड एवं देश से विषय विशेषज्ञ वैज्ञानिक, कानूनविद्, पर्यावरणविद् एवं जन आंदोलनों से जुड़े सक्रिय नेतृत्वकारी साथी भाग लेंगे। कार्यक्रम की संयोजक नैनीताल उच्च न्यायालय की अधिवक्ता एवं ह्यूमन राइट्स लॉ नेटवर्क की राज्य समन्वयक स्निग्धा तिवारी ने यहां जानकारी देते हुए कहा कि कार्यक्रम में उत्तराखंड के अतिरिक्त देश के कुछ अन्य क्षेत्रों से भी लोग भाग लेंगे।
स्निग्धा तिवारी ने बताया कि इस जन संवाद में जन अधिकारों, जल, जंगल, ज़मीन पर जनता के अधिकारों के लिए संघर्षरत कार्यकर्ता अपने अनुभव साझा करेंगे।
संगोष्ठी के आयोजकों की ओर से उन्होंने बताया कि संगोष्ठी जलवायु न्याय, प्राकृतिक संसाधनों की निर्मम लूट और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों, सूचना अधिकार कार्यकर्ताओं की सुरक्षा की स्थिति पर भी गंभीरता से बातचीत होगी।
आयोजकों की ओर से बताया गया है कि कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए आयोजित हो रहे इस कार्यक्रम को सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंज़ालविज़, पर्यावरणविद् रवि चोपड़ा, भरत झुनझुनवाला एवं जाने माने भूगर्भ शास्त्री नवीन जुयाल भी संबोधित करेंगे।
कार्यक्रम में उत्तराखंड में जल, जंगल, ज़मीन, नदियों के साथ भूस्खलन, शराब माफियाओं, राज्य में मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्षरत लोगों के प्रतिनिधित्व भाग लेंगे। उन्होंने तमाम सहधर्मी लोगों से अपने अनुभव के साथ कार्यक्रम में शामिल होने की अपील की है।