G-KBRGW2NTQN एसडीसी फाउंडेशन का 16वों प्लास्टिक बैंक शुरू – Devbhoomi Samvad

एसडीसी फाउंडेशन का 16वों प्लास्टिक बैंक शुरू

ट्रस्ट टोयोटा शोरूम में खोला गया प्लास्टिक बैंक
देहरादून।
देहरादून शहर में प्लास्टिक बैंक स्थापित करने के काम को आगे बढ़ाते हुए एसडीसी फाउंडेशन ने 16वां प्लास्टिक बैंक स्थापित कर दिया है। इन प्लास्टिक बैंकों की स्थापना भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (सीएसआईआर-आईआईपी) के सहयोग से सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्यूनिटी (एसडीसी) फाउंडेशन द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है। 16वें प्लास्टिक बैंक की स्थापना कुआंवाला स्थित ट्रस्ट टोयोटा ऑटोमोबाइल शोरूम में की गई है।
इस शोरूम से हर महीने 100 से 125 किलोग्राम से अधिक सिंगल यूज प्लास्टिक कचरा पैदा होता है। इसमें पीईटी बोतलें, प्लास्टिक पन्नियां, बबल रैप आदि शामिल होते हैं। प्लास्टिक बैंक की स्थापना के मौके पर शो रूम के जनरल मैनेजर अनिल बिष्ट ने कहा कि हमारे यहां काफी मात्रा में प्लास्टिक कचरा निकलता है। यह कचरा हमारे लिए एक बड़ी चुनौती थी। एसडीसी फाउंडेशन के सहयोग से अपने शोरूम में प्लास्टिक बैंक की स्थापना करके हम वास्तव में खुश हैं। प्लास्टिक बैंक की स्थापना से हम शुरू में ही प्लास्टिक को अलग कर सकेंगे और इसे रिसाइकिल भी कर सकेंगे।
प्लास्टिक बैंक के लॉन्च के दौरान एसडीसी फाउंडेशन के प्यारे लाल और प्रवीण उप्रेती और ट्रस्ट टोयोटा के धर्मेंद्र कुमार सिंह, विक्रांत तिवारी, धीरज रावत, दर्शन भट्ट, रंजन कौशिक मौजूद थे। इस मौके पर ट्रस्ट टोयोटा शोरूम के सदस्यों को सामाजिक भागीदारी का प्रमाण पत्र भी प्रदान किया गया।
एसडीसी फाउंडेशन ने आईआईपी के साथ मिलकर कुछ समय पहले उन जगहों पर प्लास्टिक बैंक स्थापित करने का सिलसिला शुरू किया था, जहां बहुत ज्यादा मात्रा में प्लास्टिक कचरा मिलता है। इनमें होटल, ऑटोमोबाइल शोरूम, कॉलेज, सरकारी कार्यालय आदि शामिल हैं। अब तक फाउंडेशन ने शहर में 16 प्लास्टिक बैंक स्थापित किए हैं। ये बैंक सुनिश्चित करते हैं कि प्लास्टिक को स्रोत पर ही अलग कर दिया जाए। आईआईपी द्वारा विकसित तकनीकी की मदद से इसे रिसाइकिल किया जाता है।
एसडीसी फाउंडेशन के कम्यूनिटी आउटरीच एसोसिएट प्यारे लाल ने कहा, आने वाले कुछ दिनों में शहर भर में कई और प्लास्टिक बैंक खोलने की योजना है। वे कहते हैं कि देहरादून में हर दिन भारी मात्रा में प्लास्टिक कचरा पैदा होता है और आमतौर पर इसे सड़कों, नदी-नालों और खाली जगहों पर फेंक दिया जाता है। इस खतरनाक स्थिति से निपटने में हमारे प्लास्टिक बैंक मदद कर रहे हैं। प्लास्टिक बैंकों के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाता है कि प्लास्टिक कचरे को हर हाल में रिसाइकिल करके इसे किसी काम में लाया जाए।
आईआईपी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सनत कुमार कहते हैं कि प्लास्टिक कचरे को आईआईपी द्वारा रिसाइकिल करके ईंधन तैयार किया जाता है। आमतौर पर 1000 किलो प्लास्टिक से 800 लीटर डीजल या 700 लीटर पेट्रोल बनाया जा सकता है। इस विधि से न सिर्फ ईंधन मिलता है, बल्कि यह विधि जल निकायों, शहरों और जंगलों को प्लास्टिक मुक्त रखने में भी मदद करती है। हम आने वाले महीनों में उत्तराखंड के अन्य शहरों और दूरदराज के इलाकों से भी प्लास्टिक कचरा एकत्रित करने की तरफ आगे बढ़ रहे हैं।
एसडीसी फाउंडेशन इससे पहले सल हौंडा, एम्स ऋषिकेश, रेजेंटा होटल, दृष्टि अस्पताल, होपटाउन स्कूल और कई अन्य प्रमुख स्थानों पर प्लास्टिक बैंक स्थापित कर चुका है।

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