उत्तराखंड के प्राकृतिक संसाधनों की लूट पर lge रोक : उपपा
कहा – कमेटी बना कर भ्रमित कर रही सरकार
हल्द्वानी। उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी ने यहां कहा कि राज्य में प्राकृतिक संसाधनों जमीनों और लूट के ख़िलाफ़ बढ़ रहे आंदोलन को दबाने व भ्रमित करने के लिए प्रदेश सरकार ने एक कमेटी का गठन किया है।
उपपा के केंद्रीय अध्यक्ष पी.सी. तिवारी ने कहा कि जब राज्य की लगभग सारी बेशकीमती ज़मीनें माफियाओं, पूंजीपतियों के हाथ चली जाएंगी तो इस तरह की समिति बनाने का क्या उद्देश्य रह जाएगा।
तिवारी ने कहा कि तीन वर्ष पूर्व त्रिवेंद्र सरकार द्वारा लाए गए असीमित भूमि खरीद के कानून को निरस्त न करने से सा़फ हो गया है कि धामी सरकार में पहाड़ विरोधी निर्णयों को बदलने की हिम्मत नहीं है, न उनमें राज्य को संविधान के अनुच्छेद 371 के अन्तर्गत संरक्षण देने हेतु केंद्र को प्रस्ताव भेजने का साहस है।
जनसंपर्क के दौरान हल्द्वानी में पार्टी के साथियों से संपर्क करने पर उपपा अध्यक्ष ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों में प्राकृतिक संसाधनों ख़ास कर ज़मीनों को वहां के मूल निवासियों के लिए सुरक्षित रखने हेतु संवैधानिक व्यवस्था मौजूद है। लेकिन कांग्रेस भाजपा और उनके साथ सरकारों में शामिल रहे दलों ने कभी इन सवालों पर ईमानदारी से काम नहीं किया।
उपपा अध्यक्ष ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान व बाद में पहाड़ों में अंधाधुंध जमीनें बिक रही हैं। जिसमें भाजपा के कुछ प्रमुख नेता और मंत्री शामिल हैं।
उपपा ने आरोप लगाया कि ऐसे लोगों की मदद के लिए उच्च स्तर पर अनुकूल नौकरशाहों को निर्णायक स्थानों पर बैठाया गया है।
तिवारी ने कहा कि कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने जिंदलों को गैरकानूनी रूप से जमीनें आवंटित कर जनता का भारी दमन किया चुनावों की आहट देखते हुए आज सभी के सुर बदल गए हैं।
उपपा अध्यक्ष ने कहा कि उपपा से जुड़े लोग पिछले तीन दशकों से जमीनों के सवालों पर संघर्ष कर रहे हैं।
उन्होंने तमाम संघर्षशील ताकतों से एकजुट होकर कोंग्रेस व भाजपा के माफियाराज़ के ख़िलाफ़ उपपा को समर्थन देने की अपील की। और कहा कि उपपा ही राज्य में हर तरह के माफियाओं को सबक सिखा सकती है।