समूचे उत्तराखंड को ओबीसी की श्रेणी में शामिल करें : किशोर
खटीमा के शहीदों को यही होगी सच्ची श्रद्धांजलि
देहरादून। खटीमा के राज्य आंदोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए आज उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों के साथ-साथ राजनैतिक व सामाजिक संगठनों ने उत्तराखंडियों को राज्य व केन्द्र सरकार से न्याय देने की माँग की। उत्तराखंडियों को मण्डल कमीशन की रिपोर्ट के अनुसार ओबीसी घोषित करने तथा वनों पर उनके पुश्तैनी हक-हकूक और अखिकार बहाल करने की माँग की गयी।
वनाधिकार आन्दोलन के संस्थापक व प्रणोता किशोर उपाध्याय ने कहा कि मंडल कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में किसी क्षेत्र को पिछड़ा घोषित करने के लिए प्रमुखत: तीन मानदंडों (सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक स्थिति) को आधार माना था। आज भले ही कुछ मानदंडों के हिसाब से स्थिति बदल गई हो लेकिन जिस वक्त मंडल कमीशन ने सव्रेक्षण किया या अपनी रिपोर्ट दी थी अर्थात 20 दिसंबर 1978 से 31 दिसंबर 1980 के बीच; उस उक्त भी उत्तराखंड का अधिकांश हिस्सा उपरोक्त वर्णित तीनों मानदंडों में पूरी तरह से, पिछड़ा क्षेत्र के रूप में शामिल करने के लिए उपयुक्र्त था। मालूम नहीं किन कारणों से मंडल कमीशन ने उत्तराखंड को नजरअंदाज कर दिया।
मंडल कमीशन की रिपोर्ट में आर्थिक आधार में, प्रमुखत: चार मानदंड दिए गए हैं – यथा 25 प्रतिशत लोगों की पारिवारिक सम्पति की कीमत राज्य के औसत से कम हो। दूसरे जहाँ 50 प्रतिशत लोगों को पीने के पानी के लिए आधा किलोमीटर से अधिक दूर जाना पड़ता हो।तीसरा मानदंड है कि 25 प्रतिशत से अधिक लोगों ने, राज्य औसत से अधिक का ऋण घरेलू उपयोग के लिए लिया हो। और चौथे 25 प्रतिशत से अधिक लोग कच्चे घरों में रह रहे हों। खटीमा के शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि उत्तराखंडी अपने ओबीसी में शामिल होने के अधिकारों के प्रति संकल्पबद्ध हों और उसे हासिल करें।