उत्तराखण्ड की अस्मिता बचाने के लिए सशक्त आंदोलन की जरूरत : तिवारी
अल्मोड़ा।
उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी की राज्य निर्माण की 21 वीं वर्षगांठ पर आयोजित संगोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि संघर्ष, बलिदान से अस्तित्व में आए राज्य की अस्मिता, अवधारणा को यहां राज करने वाली राजनीतिक ताकतों ने तार- तार कर दिया है। इस मौके पार उपपा के केंद्रीय अध्यक्ष पी. सी. तिवारी ने कहा कि पिछले 21 वर्षों में यहां के लोग अपनी आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक अस्मिता को तेज़ी से खो रहे हैं जिसे बचाने के लिए एक सशक्त राजनीतिक आंदोलन की ज़रूरत है।
राज्य स्थापना की 21 वीं वर्षगांठ पर पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में हुई संगोष्ठी में वक्ताओं ने राज्य आंदोलन की पृष्ठ भूमि राज्य आंदोलन में उमड़े जन सैलाब और घटनाक्रमों को याद करते हुए कहा कि इस लंबे व महान आंदोलन में निहित ताकत को दिल्ली की सियासत ने बहुत चालाकी से भटकाने व कब्जाने का काम किया है जिसके कारण आज यह हिमालयी राज्य अपनी अस्मिता को तलाश रहा है।
उपपा अध्यक्ष तिवारी ने कहा कि 21 वर्षों में विकास विकास के चुनावी तिकड़मों के बीच राज्य की बदहाली, प्राकृतिक संसाधनों, ज़मीन को लूट खसोट से जनता त्रस्त है। संगोष्ठी की अध्यक्षता सेवानिवृत्त पत्रकार नवीन बिष्ट, रमेश पांडे एवं मो. शाकिब तथा संचालन उपपा की केंद्रीय सचिव श्रीमती आनंदी वर्मा ने किया।
इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि राज्य के अस्तित्व में आने के साथ ही सत्ता में आए लोगों की बदनियती, बेरुखी और दिल्ली में बैठे उनके राजनीतिक आकाओं की नीतियों ने राज्य को अस्मिता को भारी नुकसान पहुंचाया है जिसको लेकर अब राज्य में सशक्त भू कानून की मांग ज़ोर पकड़ रही है।
वक्ताओं ने कहा कि उत्तराखंड में शिक्षा, स्वास्थ्य रोज़गार महंगाई, कृषि जैसे मुद्दों से ध्यान बंटाने के लिए कांग्रेस भाजपा व उनके साथ समय समय पर सहयोग करने वाले राजनीतिक दलों की नीतियों, उनके निहित स्वार्थों के कारण स्थितियां और गंभीर हो गई हैं जिससे निपटने के लिए एक बड़े जनांदोलन की जरूरत है। संगोष्ठी में पार्टी की नगर अध्यक्ष हीरा देवी, योगेश बिष्ट, जीवन चंद्र, वसीम अहमद, किरन आर्या, भारती पांडे, गोपाल राम, राजू गिरी, मंजू सिंह, दीपांशु पांडे समेत अन्य लोग शामिल रहे।